एक इंजीनियर था
उसके घर पर बहुत मच्छर हो गये,
तो उनसे परेशान होकर उसने
मच्छरदानी लगानी शुरू की,
अब हुआ यूँ कि,
भाई साहब की मच्छरदानी में एक छेद
हो गया अब उसमें से मच्छर अन्दर
आते और काटते,
सो तकलीफ जैसी की तैसी रही
सिलाई करना आता नहीं था,
अब करे तो करे क्या ?
आखिर उसके इंजीनियर दिमाग ने
एक उपाय ढूंढही निकाला,
उसने उस छेद के सामने
एक और छेद कर दिया और
एक छोटी पाइप लेकर आरपार रख दी,
अब मच्छर एक छेद में से जाते
दुसरे में से बाहर..
ये कहानी तो यहाँ पूरी हो गयी !!
लेकिन काश हम भी अपने
दिमाग में एक ऐसी खिड़की रख सकें,
एक ऐसी आरपार वाली पाइप रख सके ..
हमें चुभने वाले,
काटने वाले ..
परेशान करने वाले विचारों को
ऐसे ही बायपास कर दे ..
तो जीवन कितना सुन्दर हो ।
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