रविवार, 1 मार्च 2015

परेशानी और होंसला

एक छोटा सा वाक्या हैं
एक माता - पिता अपने 5 साल  के बच्चे "अंकित"  के  साथ play group school annual function programme में गये
school वालों ने वहां parents के लिऐ एक 200 मीटर की race का आयोजन किया था ताकि बच्चों के मन में  parents को लेकर तथा खेल को लेकर एक अच्छी सोच develope हो
बच्चे छोटे छोटे थे इसलिऐ school वालों ने first prize  एक toy car रखी थी
"अकित" को वह toy car आपनी  2 साल की छोटी बहन के लिऐ जम गयी (वह car पाना बन गया था "लक्ष्य")

उसने अपने पिता से कहा "पापा मुझे वह car चाहिऐ , आप race में first आना" (वह थी उसकी पिता से car दिलाने की "उम्मीद")
पिता ने निराशा से अपनी पत्नी की तरफ देखा
पत्नी अपने पति का दर्द समझ गयी
उसने अंकित से कहा "अकित, पापा race में भाग नहीं ले पाऐगें  एक हफ्ता पहले पापा को टांग में fracture हुआ था, वो अभी ठीक नहीं हुआ हैं( यह थी "परेशानी")
अंकित ने अपने पापा की आंखो में देखा और बोला " please पापा आप कर सकते हो; मुझे वह car अपनी बहन को gift करनी हैं" (वह थे "जज्बात" और "विश्वास")
बच्चा यह कहकर  चुप हो गया
पिता ने अपने पैर पर बंधा  plaster देखा
और थोङा निराश हुआ
मां बोली "तुम्हे हम दुसरी car खरीद देगें"
बच्चे ने पिता से कहा" पापा मुझे यही वाली चाहिऐ"
पिता ने आसमान की तरफ देखा
"और बोला, हे ईश्वर यह कैसी व्यथा दे रहे हो, race में भाग में ले सकता नहीं और इस बच्चे का दिल में तोङ सकता नही (वह था "ईरादा ")
race के लिऐ announcement हुई
अचानक पिता कुर्सी से खङा हुआ और stick के सहारे race में participate करने पहुचां
पत्नी ने मना किया वह नहीं माना ( वह थी "जिद्द")
race शुरु हुई और पिता लंगङाकर दौङा
दस कदम पर ही दर्द के मारे गि रने को हुआ

अचानक उसे अपने बच्चे अंकित की आवाज सुनाई पङी
" I love you पापा आप जीत जाओगे आप दौङो" यह थी "प्रेरणा")

न जाने कैसे पिता में असीम शक्ति आयी
वह लङखङाता, लगंङाता पुरे जोश से एक टांग पर कुदता - फांदता दौङा और अपने बच्चे की ईच्छा के लिऐ दिल से दौङा

और हुआ चमत्कार
वह जाने कैसे लोगों से आगे निकलते हुऐ race जीत गया"

और हांफता हुआ  थक कर जमीन पर गिर गया
अंकित दौङकर अपने पापा के पास पहुंचा और बोला" ye हम जीत गये"
पिता को दर्द हो रहा था फिर भी मुस्कुराया और उसने आसमान की तरफ  देखा और बोला " हे ईश्वर हम जीते नहीं तुमने जीता दिया"
(यह था ईश्वर को "धन्यवाद")

moral
कोई भी परेशानी हमारे होंसले से ज्यादा बङी नहीं होती
ईरादे नेक रखोगे तो ईश्वर स्वयं मदद करेगें ।

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