बुधवार, 24 अप्रैल 2019

सतगुरु

एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था।
कथा के अंत में सबको कहता कि ‘राम कहे तो बंधन टूटे’।
तभी पिंजरे में बंद तोता बोलता, ‘यूं मत कहो रे पंडित झूठे’।
पंडित को क्रोध आता कि ये सब क्या सोचेंगे, रानी क्या सोचेगी।
पंडित अपने गुरु के पास गया, गुरु को सब हाल बताया।
गुरु तोते के पास गया और पूछा तुम ऐसा क्यों कहते हो?
तोते ने कहा- ‘मैं पहले खुले आकाश में उड़ता था।
एक बार मैं एक आश्रम में जहां सब साधू-संत राम-राम-राम बोल रहे थे, वहां बैठा तो मैंने भी राम-राम बोलना शुरू कर दिया।
एक दिन मैं उसी आश्रम में राम-राम बोल रहा था, तभी एक संत ने मुझे पकड़ कर पिंजरे में बंद कर लिया, फिर मुझे एक-दो श्लोक सिखाये।
आश्रम में एक सेठ ने मुझे संत को कुछ पैसे देकर खरीद लिया।
अब सेठ ने मुझे चांदी के पिंजरे में रखा, मेरा बंधन बढ़ता गया।
निकलने की कोई संभावना न रही।
एक दिन उस सेठ ने राजा से अपना काम निकलवाने के लिए मुझे राजा को गिफ्ट कर दिया, राजा ने खुशी-खुशी मुझे ले लिया, क्योंकि मैं राम-राम बोलता था।
रानी धार्मिक प्रवृत्ति की थी तो राजा ने रानी को दे दिया।
अब मैं कैसे कहूं कि ‘राम-राम कहे तो बंधन छूटे’।
तोते ने गुरु से कहा आप ही कोई युक्ति बताएं, जिससे मेरा बंधन छूट जाए।
गुरु बोले- आज तुम चुपचाप सो जाओ, हिलना भी नहीं।
रानी समझेगी मर गया और छोड़ देगी। ऐसा ही हुआ।
दूसरे दिन कथा के बाद जब तोता नहीं बोला, तब संत ने आराम की सांस ली,
रानी ने सोचा तोता तो गुमसुम पढ़ा है, शायद मर गया।
रानी ने पिंजरा खोल दिया, तभी तोता पिंजरे से निकलकर आकाश में उड़ते हुए बोलने लगा ‘सतगुरु मिले तो बंधन छूटे’।
अतः शास्त्र कितना भी पढ़ लो, कितना भी जाप कर लो, लेकिन सच्चे गुरु के बिना बंधन नहीं छूटता।

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

मृत्यु का पल

एक बार मेरे शहर में एक प्रसिद्ध  बनारसी विद्वान् ज्योतिषी का आगमन हुआ.. माना जाता है कि उनकी वाणी में सरस्वती विराजमान है । वे जो भी बताते है वह 100% सच होता है ।
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501/- रुपये देते हुए वर्मा जी ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाते हुए ज्योतिषी को कहा..

महाराज, मेरी मृत्यु कब, कहॉ और किन परिस्थितियों में होगी ?
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ज्योतिषी ने वर्मा जी की हस्त रेखाऐं देखीं, चेहरे और माथे को अपलक निहारते रहे । स्लेट पर कुछ अंक लिख कर जोड़ते–घटाते रहे । बहुत देर बाद वे गंभीर स्वर में बोले..

वर्मा जी आपकी भाग्य रेखाएँ कहती  है कि जितनी आयु आपके पिता को प्राप्त होगी उतनी ही आयु आप भी पाएँगे । जिन  परिस्थितियों  में  और  जहाँ  आपके पिता की मृत्यु होगी, उसी स्थान पर और  उसी  तरह, आपकी भी मृत्यु होगी
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यह सुन कर वर्मा जी भयभीत हो उठे और चल पड़े......
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एक घण्टे बाद ...
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वर्मा जी वृद्धाश्रम से अपने वृद्ध पिता को साथ लेकर घर लौट रहे थे..!!

मित्रो व्यक्ति को जिस पल यह अहसास हो जाये जो वह बो रहा है  वही  काटना है । तो  वह वही बोयेगा जो उसे भविष्य में चाहिए ।

जिन माता पिता की बदौलत हम इस संसार में आये । जिन्होंने हमें अपनी क्षमता से इस संसार में रहने काबिल बनाया उन्हें दुःख पहुँचा के कोई सुखी न ही रह पाया है ।

शनिवार, 19 जनवरी 2019

मुस्कुराइए

एक औरत बहुत महँगे कपड़े में अपने मनोचिकित्सक के पास गई और बोली
"डॉ साहब ! मुझे लगता है कि मेरा पूरा जीवन बेकार है, उसका कोई अर्थ नहीं है। क्या आप मेरी खुशियाँ ढूँढने में मदद करेंगें?"
मनोचिकित्सक ने एक बूढ़ी औरत को बुलाया जो वहाँ साफ़-सफाई का काम करती थी और उस अमीर औरत से बोला - "मैं इस बूढी औरत से तुम्हें यह बताने के लिए कहूँगा कि कैसे उसने अपने जीवन में खुशियाँ ढूँढी। मैं चाहता हूँ कि आप उसे ध्यान से सुनें।"
तब उस बूढ़ी औरत ने अपना झाड़ू नीचे रखा, कुर्सी पर बैठ गई और बताने लगी - "मेरे पति की मलेरिया से मृत्यु हो गई और उसके 3 महीने बाद ही मेरे बेटे की भी सड़क हादसे में मौत हो गई। मेरे पास कोई नहीं था। मेरे जीवन में कुछ नहीं बचा था। मैं सो नहीं पाती थी, खा नहीं पाती थी, मैंने मुस्कुराना बंद कर दिया था।"
मैं स्वयं के जीवन को समाप्त करने की तरकीबें सोचने लगी थी। तब एक दिन,एक छोटा बिल्ली का बच्चा मेरे पीछे लग गया जब मैं काम से घर आ रही थी। बाहर बहुत ठंड थी इसलिए मैंने उस बच्चे को अंदर आने दिया। उस बिल्ली के बच्चे के लिए थोड़े से दूध का इंतजाम किया और वह सारी प्लेट सफाचट कर गया। फिर वह मेरे पैरों से लिपट गया और चाटने लगा।"
"उस दिन बहुत महीनों बाद मैं मुस्कुराई। तब मैंने सोचा यदि इस बिल्ली के बच्चे की सहायता करने से मुझे ख़ुशी मिल सकती है,तो हो सकता है कि दूसरों के लिए कुछ करके मुझे और भी ख़ुशी मिले। इसलिए अगले दिन मैं अपने पड़ोसी, जो कि बीमार था,के लिए कुछ बिस्किट्स बना कर ले गई।"
"हर दिन मैं कुछ नया और कुछ ऐसा करती थी जिससे दूसरों को ख़ुशी मिले और उन्हें खुश देख कर मुझे ख़ुशी मिलती थी।"
"आज,मैंने खुशियाँ ढूँढी हैं, दूसरों को ख़ुशी देकर।"
यह सुन कर वह अमीर औरत रोने लगी। उसके पास वह सब था जो वह पैसे से खरीद सकती थी।
लेकिन उसने वह चीज खो दी थी जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकती।
मित्रों! हमारा जीवन इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने खुश हैं अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी वजह से कितने लोग खुश हैं।
तो आईये आज शुभारम्भ करें इस संकल्प के साथ कि आज हम भी किसी न किसी की खुशी का कारण बनें।

मुस्कुराहट का महत्व
अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।
अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।
अगर आप एक ग्रहणी है तो मुस्कुराते हुए घर का हर काम किजिये फिर देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।
अगर आप घर के मुखिया है तो मुस्कुराते हुए शाम को घर में घुसेंगे तो देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।
अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आप खुश होकर कंपनी में घुसते हैं तो देखिये सारे कर्मचारियों के मन का प्रेशर कम हो जायेगा और माहौल खुशनुमा हो जायेगा।
अगर आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का सम्मान करेंगे तो ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही सामान लेगा।
कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को देखकर मुस्कुराएं, देखिये उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।

मुस्कुराइए
क्यूंकि मुस्कराहट के पैसे नहीं लगते ये तो ख़ुशी और संपन्नता की पहचान है।

मुस्कुराइए
क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।

मुस्कुराइए
क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा।

मुस्कुराइए
क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।

मुस्कुराइए
क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।

मुस्कुराइए
क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है।

मुस्कुराइए
क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है
                    और सबसे बड़ी बात

मुस्कुराइए
क्योंकि यह मनुष्य होने की पहचान है। एक पशु कभी भी मुस्कुरा नही सकता।
इसलिए स्वयं भी मुस्कुराए और औरों के चहरे पर भी मुस्कुराहट लाएं.

यही जीवन है।
आनंद ही जीवन है।।