शनिवार, 30 सितंबर 2017

Smart Work is better than Hard Work

           गाँव में मोहन नाम का एक गरीब लड़का रहता था।
           मोहन बहुत मेहनती था लेकिन थोड़ा कम पढ़ा लिखा होने की वजह से उसे कोई नौकरी नहीं मिल पा रही थी।
           एक दिन भटकता हुआ लकड़ी के एक व्यापारी के पास पहुँचा ।         
          व्यापारी ने लड़के की दशा देखकर उसे जंगल से पेड़ कटाने का काम दिया ।
          नौकरी से मोहन बहुत उत्साहित था , वह जंगल गया और पहले ही दिन 18 पेड़ काट डाले। व्यापारी ने भी मोहन को शाबाशी दी।
         शाबाशी पाकर मोहन गदगद हो गया और अगले दिन और ज्यादा मेहनत से काम किया।
           लेकिन यह क्या?...
        वह केवल 15 पेड़ ही काट पाया।
         तीसरे दिन उसने और ज्यादा जोर लगाया लेकिन केवल 10 पेड़ ही काट सका।
         अब मोहन बड़ा दुखी हुआ लेकिन वह खुद नहीं समझ पा रहा था,क्योंकि       वह पहले से काम और मेहनत ज्यादा करता लेकिन पेड़ कम काट पाता।
        हारकर उसने व्यापारी से ही पूछा,"मैं सारा दिन मेहनत से काम करता हूँ लेकिन फिर भी क्यों पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है?"
       व्यापारी ने पूछा,"तुमने अपनी *कुल्हाड़ी को धार* कब लगायी थी?"
       मोहन बोला,"धार! धार लगाने का समय ही नहीं बचता मैं तो सारे दिन पेड़ काटने में व्यस्त रहता हूँ शाम होते होते थककर पस्त हो जाता हूँ,खाना खाकर बिस्तर पर ऐसी नींद आती है जो सुबह ही खुलती है,और सुबह तो फिर वही *मैं,मेरी कुल्हाड़ी और पेड़।*"
    व्यापारी बोला,"बस इसीलिए तुम्हारी पेड़ों की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है।
      यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है न!

      हम रोज सुबह नौकरी पेशा करने जाते हैं,जम कर काम करते हैं लेकिन हम अपनी  *कुल्हाड़ी*  रूपी *Skills* को *Improve* नहीं करते हैं।
    हम जिंदगी जीने में इतने ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं कि अपने शरीर को भी *कुल्हाड़ी* की तरह *धार* नहीं दे पाते और फलस्वरूप हम दुःखी रहते हैं।
       कठिन परिश्रम करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि  *Smart Work is better than Hard Work*
     हम और आप अपने *Hard Work*को *Smart Work*

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