रविवार, 5 अप्रैल 2015

अच्छे दिन

एक गाँव में एक काणा रहता था,
सब लोग उसकी एक आँख होने की वजह से "काणा" "काणा" कह कर चिढाते थे..
उसे इस बात से बहौत तकलीफ होती थी..

उसने एक दिन सोचा की इन गाँव वालो को सबक सिखाता हूँ..

उसने रात को 12 बजे अपनी दूसरी आँख भी फोड़ ली और पुरे गाँव में चिल्लाता हुआ दोड़ने लगा
"मुझे भगवान दिखाई दे रहें हैं
अच्छे दिन दिखाई दे रहे हैं"..

ये सुनकर गाँव वाले बोले,
“अबे काणे तुझे कहाँ से भगवान या अच्छे दिन दिखाई दे रहें हैं”???

तो उसने कहा की रात को मेरे सपने में भगवान ने दर्शन दिया और बोले की अगर तू अपनी दुसरी आँख भी फोड़ ले तो "अच्छे दिन" दिखाई देंगे..

इतना सुनकर गाँव के सरपंच ने
कहा, की मुझे अच्छे दिन देखने हैं..

तो अँधा बोला की दोनों आँखे फोडोगे तभी दिखाई देंगे "अच्छे दिन"..

सरपंच ने हिम्मत करके अपनी दोनों आँखे फोड़ लीं..

पर ये क्या अच्छे दिन तो दूर अब तो उसे दुनिया दिखाई देना भी बंद हो गई..

सरपंच ने अँधे से कान में कहा की "अच्छे दिन तो दिखाई नहीं दे रहे"..

तो अँधा बोला "सरपंच जी सबके सामने ये सच मत बोलना, नहीं तो सब आप को मुर्ख कहेंगे, इसलिए
बोलो अच्छे दिन आ गए..

इतना सुनकर सरपंच ने ज़ोर
से बोला "मुझे भी अच्छे दिन दिखाई दे रहे हैं"..

इसके बाद एक एक करके पुरे गांव वालों ने अपनी आँखे फोड़ डालीं और मजबूरी में वही बोल रहे थे जो सरपंच ने कहा..
"अच्छे दिन आ गये"..!

यही हाल अच्छे दिन के समर्थक "भक्तगणों" का है..
☺☺☺☺

आँखे तो फोड़ ली हैं अपने ही हाथों से, अब तो मजबूरी में बोलना ही पड़ेगा -
"अच्छे दिन आ गए"

जय हिन्द..

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