गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

मन की आवाज़


बहुत साल बाद दो दोस्त रास्ते में मिले .

धनवान दोस्त ने उसकी आलिशान गाड़ी पार्क की और

गरीब मित्र से बोला चल इस गार्डन में बेठकर बात करते है .

चलते चलते अमीर दोस्त ने गरीब दोस्त से कहा

तेरे में और मेरे में बहुत फर्क है .

हम दोनों साथ में पढ़े साथ में बड़े हुए

मै कहा पहुच गया और तू कहा रह गया ?

चलते चलते गरीब दोस्त अचानक रुक गया .

अमीर दोस्त ने पूछा क्या हुआ ?

गरीब दोस्त ने कहा तुझे कुछ आवाज सुनाई दी?

अमीर दोस्त पीछे मुड़ा और पांच का सिक्का उठाकर बोला

ये तो मेरी जेब से गिरा पांच के सिक्के की आवाज़ थी।

गरीब दोस्त एक कांटे के छोटे से पोधे की तरफ गया

जिसमे एक तितली पंख फडफडा रही थी .

गरीब दोस्त ने उस तितली को धीरे से बाहर निकला और

आकाश में आज़ाद कर दिया .

अमीर दोस्त ने आतुरता से पुछा

तुझे तितली की आवाज़ केसे सुनाई दी?

गरीब दोस्त ने नम्रता से कहा

" तेरे में और मुझ में यही फर्क है

तुझे "धन" की सुनाई दी और मुझे "मन" की आवाज़ सुनाई दी .

"यही सच है "

.इतनी ऊँचाई न देना प्रभु कि,

धरती पराई लगने लगे l

इतनी खुशियाँ भी न देना कि,

दुःख पर किसी के हंसी आने लगे ।

नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिसका,

निर्बल पर प्रयोग करूँ l

नहीं चाहिए ऐसा भाव कि,

किसी को देख जल-जल मरूँ

ऐसा ज्ञान मुझे न देना,

अभिमान जिसका होने लगे I

ऐसी चतुराई भी न देना जो,

लोगों को छलने लगे ।

: खवाहिश  नही  मुझे 
मशहूर  होने  की।
आप  मुझे  पहचानते  हो 
बस  इतना  ही  काफी  है।

अच्छे  ने  अच्छा  और 
बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।
क्यों  की  जिसकी  जितनी 
जरुरत  थी  उसने उतना  ही
पहचाना  मुझे।

ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा 
भी   कितना  अजीब  है,
शामें  कटती  नहीं, और  साल 
गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं....!

एक  अजीब  सी 
दौड़  है  ये  ज़िन्दगी,
जीत  जाओ  तो  कई
अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,
और  हार  जाओ  तो  अपने
ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।.....
Being human

बुधवार, 14 दिसंबर 2016

सबक

क्लास रूम में प्रोफेसर ने एक सीरियस टॉपिक पर चर्चा प्रारंभ की।

जैसे ही वे ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिखने के लिए पलटे तो तभी एक शरारती छात्र ने सीटी बजाई ।

प्रोफेसर ने पलटकर सारी क्लास को घूरते हुए सीटी किसने मारी पूछा, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया।

प्रोफेसर ने शांति से अपना सामान समेटा और आज की क्लास समाप्त बोलकर, बाहर की तरफ बढ़े। स्टूडेंट्स खुश हो गए कि, चलो अब फ्री हैं।

अचानक प्रोफेसर रुके, वापस अपनी टेबल पर पहुँचे और बोले---" चलो, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ , इससे हमारे बचे हुए समय का उपयोग भी हो जाएगा। "

सभी स्टूडेंट्स उत्सुकता और इंटरेस्ट के साथ कहानी सुनने लगे ।

प्रोफेसर बोले---" कल रात मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा कि, कार में पेट्रोल भरवाकर ले आता हूँ जिससे सुबह मेरा समय बच जाएगा ।

पेट्रोल पम्प से टैंक फुल कराकर मैं आधी रात को सूनसान पड़ी सड़कों पर ड्राइव का आनंद लेने लगा ।

अचानक एक चौराहे के कार्नर पर मुझे एक बहुत खूबसूरत लड़की शानदार ड्रेस पहने हुए अकेली खड़ी नजर आई। मैंने कार रोकी और
उससे पूछा कि,

क्या मैं उसकी कोई सहायता कर सकता हूँ तो, उसने कहा कि, उसे उसके घर ड्रॉप कर दें तो बड़ी मेहरबानी होगी ।

मैंने सोचा नींद तो वैसे भी नहीं आ रही है , चलो, इसे इसके घर छोड़ देता हूँ ।

वो मेरी बगल की सीट पर बैठी। रास्ते में हमने बहुत बातें कीं। वो बहुत इंटेलिजेंट थी, ढेरों टॉपिक्स पर उसका कमाण्ड था ।

जब कार उसके बताए एड्रेस पर पहुँची तो उतरने से पहले वो बोली कि, वो मेरे नेचर और व्यवहार से बेहद प्रभावित हुई है और मुझसे प्यार करने लगी है।

मैं खुद भी उसे पसंद करने लगा था। मैंने उसे बताया कि, मैं यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हूँ। वो बहुत खुश हुई फिर उसने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर लिया और अपना नंबर दिया।

अंत में उसने बताया की, उसका भाई भी यूनिवर्सिटी में ही पढ़ता है और उसने मुझसे रिक्वेस्ट की कि,
मैं उसके भाई का ख़याल रखूँ ।

मैंने कहा कि, तुम्हारे भाई के लिए कुछ भी करने पर मुझे बेहद खुशी होगी। क्या नाम है तुम्हारे भाई का ?

इसपर लड़की ने कहा कि, बिना नाम बताए भी आप उसे पहचान सकते हैं क्योंकि वो सीटी बहुत ज्यादा और बहुत बढ़िया बजाता है।

जैसे ही प्रोफेेसर ने सीटी वाली बात की तो, तुरंत क्लास के सभी स्टूडेंट्स उस छात्र की तरफ देखने लगे, जिसने प्रोफ़ेसर की पीठ पर सीटी बजाई थी।

प्रोफेसर उस लड़के की तरफ घूमे और
उसे घूरते हुए बोले---

बेटा, मैंने अपनी पी एच डी की डिग्री, आलू छीलकर हासिल नहीं की है, समझे

सोमवार, 12 दिसंबर 2016

हंस और हंसिनी

एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये!

हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ??

यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा !

भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !

रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था।

वह जोर से चिल्लाने लगा।

हंसिनी ने हंस से कहा- अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते।

ये उल्लू चिल्ला रहा है।

हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ??

ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।

पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था।

सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई, मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ करदो।

हंस ने कहा- कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद!

यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा

पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो।

हंस चौंका- उसने कहा, आपकी पत्नी ??

अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है,मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है!

उल्लू ने कहा- खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है।

दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग एकत्र हो गये।

कई गावों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गयी।

पंचलोग भी आ गये!

बोले- भाई किस बात का विवाद है ??

लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है!

लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पंच लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे।

हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है।

इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना चाहिए!

फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों की जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है!

यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया।

उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली!

रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - ऐ मित्र हंस, रुको!

हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ??

पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ?

उल्लू ने कहा- नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी!

लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है!

मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है।

यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं!

शायद 65 साल की आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने उम्मीदवार की योग्यता न देखते हुए, हमेशा ये हमारी जाति का है. ये हमारी पार्टी का है के आधार पर अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है, देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैँ!

"कहानी" अच्छी लगे तो आगे भी बढ़ा दें...

शनिवार, 10 दिसंबर 2016

सफलता का नहीं है कोई शोर्टकट

सफलता का नहीं है कोई शोर्टकट
एक छोटी से कहानी सुनाता हूँ....
पिकासो (Picasso) स्पेन में जन्में एक बहुत मशहूर चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं। एक दिन रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वो दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली –
...........................................सर मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे ?
पिकासो हँसते हुए बोले – मैं यहाँ खाली हाथ हूँ मेरे पास कुछ नहीं है मैं फिर कभी आपके लिए पेंटिंग बना दूंगा।
लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ दी कि मुझे अभी एक पेंटिंग बना के दो, बाद में पता नहीं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।
पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उसपे कुछ बनाने लगे। करीब 10 सेकेण्ड के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा ये लो ये मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।
उस लड़की को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 सेकेण्ड में जल्दी से एक काम चलाऊ पेंटिंग बना दी और बोल रहे हैं कि मिलियन डॉलर की पेंटिग है। उस औरत ने वो पेंटिंग ली और बिना कुछ बोले अपने घर आ गयी। उसको लगा पिकासो उसका पागल बना रहा है, इसलिए वो मार्किट गयी और उस पेंटिंग की कीमत पता की।
और उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि वो पेंटिंग वास्तव में मिलियन डॉलर की थी। वो भागी भागी एक बार फिर पिकासो के पास आयी और बोली – सर आपने बिलकुल सही कहा था ये तो मिलियन डॉलर की ही पेंटिंग है।
पिकासो ने हँसते हुए कहा कि मैंने तो आपसे पहले ही कहा था।
वो महिला बोली – सर आप मुझे अपनी स्टूडेंट बना लीजिये और मुझे भी पेंटिंग बनानी सीखा दीजिये। जैसे आपने 10 सेकेण्ड में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना दी, वैसे मैं भी 10 सेकेण्ड में ना सही 10 मिनट में ही अच्छी पेंटिंग बना सकूँ। मुझे ऐसा बना दीजिये।
पिकासो ने हँसते हुए कहा – ये जो मैंने 10 सेकेण्ड में पेंटिंग बनायीं है इसे सीखने में मुझे 30 साल का समय लगा। मैंने अपने जीवन के 30 साल सीखने में दिए तुम भी दो, सीख जाओगी।
वो महिला अवाक् निःशब्द होकर पिकासो को देखती रह गयी।
दोस्तों जब हम दूसरों को सफल होता देखते हैं तो हमें ये सब बड़ा आसान लगता है। हमको लगता है कि यार ये इंसान को बड़ी जल्दी और बड़ी आसानी से सफल हो गया।
लेकिन मेरे दोस्त उस एक सफलता के पीछे ना जाने कितने सालों की मेहनत छिपी है ये कोई नहीं देख पाता।
सफलता तो बड़ी आसानी से मिल जाती है लेकिन सफलता की तैयारी में अपना जीवन कुर्बान करना होता है। जो लोग खुद को तपाकर, संघर्ष करके अनुभव हासिल करते हैं वो कामयाब हो जाते हैं और दूसरों को लगता है कि ये कितनी आसानी से सफल हो गया।
मेरे दोस्त एग्जाम तो केवल 3 घंटे का होता है लेकिन उस 3 घण्टे के लिए पूरी साल तैयारी करनी पड़ती है। तो फिर आप रातों रात सफल होने का सपना कैसे देख सकते हो। सफलता अनुभव और संघर्ष मांगती है और अगर आप देने को तैयार हैं तो आपको आगे जाने से कोई नहीं रोक सकेगा।

सरकार

एक व्यापारी अकबर के समय मे बिजनस करता था महाराना परताप से लडाई  की वजह से अकबर कंगाल हो गया और व्यापारी  से कुछ सहायता मांगी,  व्यापारी ने अपना सब धन अकबर को दे दिया तब अकबर ने उससे पुछा कि तुमने इतना धन कैसे कमाया सच सच बताओ नहि तो फांसी दे दुंगा। मारवाडी बोला जहांपनाह मेनै यह सारा धन कर चौरी और मिलावट से कमाया है। यह सुनकर अकबर ने बीरबल से सलाह करके व्यापारी  को घौडो के अस्तबल मे लीद साफ करने की सजा सुनाई।  व्यापारी वहां काम करने लगा।

दो साल बाद फिर अकबर लडाई मे कं
गाल हो गया तो बीरबल से पुछा अब धन की व्यवस्था कौन करेगा। बीरबल ने कहा बादशाह उस व्यापारी से बात करने से समस्या का समाधान हो सकता है। तब अकबर ने फिर व्यापारी  को बुलाकर अपनी परेशानी बताई तो  व्यापारी  ने फिर बहुत सारा धन अकबर को दे दिया। अकबर ने पुछा तुम तो अस्तबल  मे काम करते हो फिर तुम्हारे पास इतना धन कहां से आया सच सच बताओ नहि तो सजा मिलेगी।   व्यापारी   ने कहा यह धन मैने आप के आदमी जो घौडों की देखभाल करते है उन से यह कहकर रिश्वत लिया है कि घौडे आजकल लीद कम कर रहै है इसकी शिकायत बादशाह को करुगां क्योंकि तुम घौडो को पुरी खुराक नहीं देते हौ ओर पैसा खजाने से पुरा उठाते हो। अकबर फिर नाराज हुआ और   व्यापारी  से कहा कि तुम कल से अस्तबल में काम नही करोगे। कल से तुम समुन्दर् के किनारे उसकी लहरे गीनो और मुझे बताऔ।

दो साल बाद

अकबर फिर लडाई में कंगाल
चारो तरफ धन का अभाव किसी के पास धन नहीं। बीरबल और अकबर का माथा काम करना बंद। अचानक बीरबल को  व्यापारी   की याद आई। बादशाह को कहा आखरी उमी्द व्यापारी  दिखता है आप की ईजाजत हो तो बात करू। बादशाह का गरूर काफुर बोला किस मुंह से बात करें दो बार सजा दे चुकें हैं। दोस्तो  व्यापारी  नै फिर बादशाह को ईतना धन दिया कि खजाना पूरा भर दिया। बादशाह ने डरते हुऐ धन कमाने का तरिका पूछा तो  व्यापारी  ने बादशाह को धन्यवाद दिया और कहा इस बार धन विदेश से आया है क्योकि मैने उन सब को जो विदेश से आतें हैं आप का फरमान दिखाया कि जो कोइ मेरे लहरे गिनने के काम में अपने नाव से बाधा करेगा बादशाह उसे सजा देंगें । सब डर से धन देकर गये और जमा हो गया।

*कहानी का सार*
*सरकार  व्यापारी  से ही चलती है*
*जाहे अकबर की हो या मोदी की*

गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

एक मोड़

अचानक एक मोड़ पर सुख और दुःख की मुलाकात हो गई
             दुःख ने सुख से कहा : -
          तुम कितने भाग्यशाली हो ,
जो लोग तुम्हें पाने की कोशिश में लगे रहते हैं....
         सुख ने मुस्कराते हुए कहा : -
         भाग्यशाली मैं नहीं तुम हो...!
   दुःख ने हैरानी से पूछा : - "वो कैसे?
सुख ने बड़ी ईमानदारी से जबाब  दिया : -
वो ऐसे कि तुम्हें पाकर लोग अपनों को याद करते हैं ,
लेकिन मुझे पाकर सब अपनों को भूल जाते हैं।।

Let's be positive....                       

एक किस्सा.....

एक घर के पास काफी दिन एक बड़ी इमारत का काम चल रहा था।
वहा रोज मजदुरों के छोटे बच्चे एक दुसरों की शर्ट पकडकर रेल-रेल का खेल खेलते थे।

रोज कोई इंजिन बनता और बाकी बच्चे डिब्बे बनते थे...

इंजिन और डिब्बे वाले बच्चे रोज बदल  जाते,
पर...
केवल चङ्ङी पहना एक छोटा बच्चा हाथ में रखा कपड़ा घुमाते हुए गार्ड बनता था।

उनको रोज़ देखने वाले एक व्यक्ति ने  कौतुहल से गार्ड बनने वाले बच्चे को बुलाकर पुछा,

"बच्चे, तुम रोज़ गार्ड बनते हो। तुम्हें कभी इंजिन, कभी डिब्बा बनने की इच्छा नहीं होती?"

इस पर वो बच्चा बोला...

"बाबूजी, मेरे पास पहनने के लिए कोई शर्ट नहीं है। तो मेरे पिछले वाले बच्चे मुझे कैसे पकड़ेंगे? और मेरे पिछे कौन खड़ा रहेगा?

इसिलए मैं रोज गार्ड बनकर ही खेल में हिस्सा लेता हुँ।

"ये बोलते समय मुझे उसके आँखों में पानी दिखाई दिया।

आज वो बच्चा मुझे जीवन का एक बड़ा पाठ पढ़ा गया...

अपना जीवन कभी भी परिपूर्ण नहीं होता। उस में कोई न कोई कमी जरुर रहेगी।

वो बच्चा माँ-बाप से ग़ुस्सा होकर रोते हुए बैठ सकता था। वैसे न करते हुए उसने परिस्थितियों का समाधान ढूंढा।

हम कितना रोते है...?

कभी अपने साँवले रंग के लिए, कभी छोटे क़द के लिए, कभी पड़ौसी की कार, कभी पड़ोसन के गले का हार, कभी अपने कम मार्क्स, कभी अंग्रेज़ी, कभी पर्सनालिटी, कभी नौकरी मार तो कभी धंदे में मार...

हमें इससे बाहर आना पड़ता है।

ये जीवन है... इसे ऐसे ही जीना पड़ता है।

Let's be positive....

                      

आखरी दिन

एक दिन यमराज एक लड़के के पास आये और बोले -

"लड़के, आज तुम्हारा आखरी दिन है!"

लड़का :  "लेकिन मैं अभी तैयार नही हुँ ".

यमराज : "ठिक है लेकिन सूची मे तुम्हारा नाम पहला है".

लड़का : "ठिक है , फिर क्युं ना हम जाने से पहले साथ मे बैठ कर चाय पी ले ?

यमराज : "सहि है".

लड़के ने चाय मे नीद की गोली मिला कर यमराज को दे दी.

यमराज ने चाय खत्म की और गहरी नींद मे सो गया.

लड़के ने सूची मे से उसका नाम शुरुआत से हटा कर अंत मे लिख दिया.

जब यमराज को होश आया तो वह लड़के से बोले -"क्युंकी तुमने मेरा बहुत ख्याल रखा इसलिये मे अब सूची अंत से चालू करूँगा"..!

सीख :

"किस्मत का लिखा कोई नही मिटा सकता"
अर्ताथ - जो तुम्हारी किस्मत मे है वह कोई नही बदल सकता चाहे तुम कितनी भी कोशिश कर लो .

इसलिये भगवत गीता मे श्री कृष्ण ने कहा है -

"तू करता वही है जो तू चाहता है,

पर होता वही है जो मैं चाहता हुँ

तू कर वह जो मैं चाहता हुँ
फिर होगा वही जो तू चाहता हैं"

शनिवार, 29 अक्टूबर 2016

चार मोमबत्तियां

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रात का समय था, चारों तरफ
सन्नाटा पसरा हुआ था , नज़दीक
ही एक कमरे में
चार मोमबत्तियां जल
रही थीं। एकांत पा कर
आज वे एक दुसरे से दिल की बात कर
रही थीं।

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पहली मोमबत्ती बोली,
” मैं शांति हूँ ,
पर मुझे लगता है अब इस
दुनिया को मेरी ज़रुरत
नहीं है , हर तरफ
आपाधापी और लूट-मार
मची हुई है, मैं यहाँ अब और
नहीं रह सकती। …”
और ऐसा कहते हुए , कुछ देर में
वो मोमबत्ती बुझ
गयी।
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दूसरी मोमबत्ती बोली ,
” मैं विश्वास हूँ , और
मुझे लगता है झूठ और फरेब के बीच
मेरी भी यहाँ कोई ज़रुरत
नहीं है , मैं भी यहाँ से
जा रही हूँ …” , और
दूसरी मोमबत्ती भी बुझ
गयी।
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तीसरी मोमबत्ती भी दुखी होते
हुए बोली , ”
मैं प्रेम हूँ, मेरे पास जलते रहने की ताकत है, पर
आज हर कोई इतना व्यस्त है कि मेरे लिए
किसी के पास वक्त
ही नहीं, दूसरों से तो दूर
लोग अपनों से भी प्रेम करना भूलते जा रहे हैं ,मैं
ये सब और नहीं सह सकती मैं
भी इस दुनिया से
जा रही हूँ….” और ऐसा कहते हुए
तीसरी मोमबत्ती भी बुझ
गयी।
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वो अभी बुझी ही थी कि एक
मासूम बच्चा उस
कमरे में दाखिल हुआ।
मोमबत्तियों को बुझे देख वह घबरा गया ,
उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे और वह
रुंआसा होते
हुए बोला ,
“अरे , तुम मोमबत्तियां जल
क्यों नहीं रही ,
तुम्हे तो अंत तक जलना है ! तुम इस तरह बीच
में
हमें कैसे छोड़ के जा सकती हो ?”

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तभी चौथी मोमबत्ती बोली ,
” प्यारे बच्चे
घबराओ नहीं, मैं आशा हूँ और जब तक मैं जल
रही हूँ
हम बाकी मोमबत्तियों को फिर से
जला सकते हैं।

यह सुन बच्चे की आँखें चमक उठीं,
और उसने आशा के
बल पे शांति, विश्वास, और प्रेम को फिर से
प्रकाशित कर दिया।

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जब सबकुछ बुरा होते दिखे ,चारों तरफ
अन्धकार ही अन्धकार नज़र आये , अपने
भी पराये
लगने लगें तो भी उम्मीद मत
छोड़िये….आशा मत
छोड़िये , क्योंकि इसमें इतनी शक्ति है
कि ये हर
खोई हुई चीज आपको वापस दिल
सकती है।
अपनी आशा की मोमबत्ती को जलाये
रखिये ,बस
अगर ये जलती रहेगी तो आप
किसी भी और
मोमबत्ती को प्रकाशित कर सकते हैं।

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उजाले के इस त्योहार पर आपको यही पंक्तियां भेंट कर के एक छोटी सी कोशिश कर रहा हूं ताकि आपकी जिंदगी में इन चारों मोमबत्तीयों की रौशनी हमेशा फैली रहे |

शुभ दिपावलीin advance ✨✨✨

बुधवार, 26 अक्टूबर 2016

सब्र

एक फकीर बहुत दिनों तक बादशाह के साथ रहा
बादशाह का बहुत प्रेम उस फकीर पर हो गया। प्रेम
भी इतना कि बादशाह रात को भी उसे अपने कमरे में
सुलाता।

कोई भी काम होता, दोनों साथ-साथ ही
करते।

एक दिन दोनों शिकार खेलने गए और रास्ता भटक
गए। भूखे-प्यासे एक पेड़ के नीचे पहुंचे। पेड़ पर एक
ही फल लगा था।

बादशाह ने घोड़े पर चढ़कर फल को
अपने हाथ से तोड़ा। बादशाह ने फल के छह टुकड़े
किए और अपनी आदत के मुताबिक पहला टुकड़ा
फकीर को दिया।

फकीर ने टुकड़ा खाया और बोला,
'बहुत स्वादिष्ट! ऎसा फल कभी नहीं खाया। एक
टुकड़ा और दे दें। दूसरा टुकड़ा भी फकीर को मिल
गया।

फकीर ने एक टुकड़ा और बादशाह से मांग
लिया। इसी तरह फकीर ने पांच टुकड़े मांग कर खा
लिए।

जब फकीर ने आखिरी टुकड़ा मांगा, तो बादशाह ने
कहा, 'यह सीमा से बाहर है। आखिर मैं भी तो भूखा
हूं।

मेरा तुम पर प्रेम है, पर तुम मुझसे प्रेम नहीं
करते।' और सम्राट ने फल का टुकड़ा मुंह में रख
लिया।

मुंह में रखते ही राजा ने उसे थूक दिया, क्योंकि वह
कड़वा था।
राजा बोला,
'तुम पागल तो नहीं, इतना कड़वा फल कैसे खा गए?

'
उस फकीर का उत्तर था,
'जिन हाथों से बहुत मीठे फल खाने को मिले, एक
कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं?

सब टुकड़े इसलिए
लेता गया ताकि आपको पता न चले।

दोस्तों जँहा मित्रता हो वँहा संदेह न हो, आओ
कुछ ऐसे रिश्ते रचे...

कुछ हमसे सीखें , कुछ हमे
सिखाएं. अपने इस ग्रुप को कारगर बनायें।

किस्मत की एक आदत है कि
वो पलटती जरुर है

और जब पलटती है,

तब सब कुछ पलटकर रख देती है।

इसलिये अच्छे दिनों मे अहंकार
न करो और

खराब समय में थोड़ा सब्र करो.

मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

साधु और एक कुत्ता

एक साधु ने एक कुत्ते से कहा कि "तू है तो बहुत वफादार, परन्तु तेरे में तीन कमियां हैं ।"

1-- तू पेशाब हमेशा दीवार पे ही करता है ।
2-- तू भिखारी को देखकर बिना बात के ही भौंकता है ।
3-- तू रात को भौंक भौंक के लोगों की नींद खराब करता है ।

इस पर कुत्ते ने बहुत ही बढिया जवाब दिया,,, कुत्ता बोला- ऐ साधु ! सुन !
1-- जमीन पर पेशाब इसलिए नहीं करता कि कही किसी ने वहाँ बैठकर पूजा की हो।
2-- भिखारी पर इसलिए भौंकता हूँ कि वो भगवान को छोड़ कर लोगों से क्यों मांगता है,,
जो कि खुद भिखारी हैं । भगवान से क्यों नहीं मांगता ।
3-- और रात को इसलिए भौंकता हूँ कि हे पापी मनुष्य तू इस भ्रम की नींद में क्यों सोया हुआ है। उठ अपने उस प्रभु को याद कर जिसने तुझे इतना सब कुछ दिया है ।