शुक्रवार, 1 मई 2015

पाँच आश्चर्य

श्रीकृष्ण कहते हैं- "तुम पाँचों भाई वन में जाओ
और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ।

मैं
तुम्हें उसका प्रभाव बताऊँगा।"

पाँचों भाई वन में गये।
युधिष्ठिर महाराज ने
देखा कि किसी हाथी की दो सूँड
है।

यह देखकर आश्चर्य का पार न रहा।

अर्जुन दूसरी दिशा में गये।
वहाँ उन्होंने देखा कि कोई पक्षी है, उसके पंखों पर
वेद की ऋचाएँ लिखी हुई हैं पर वह
पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है

यह भी आश्चर्य है !

भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय ने
बछड़े को जन्म दिया है और बछड़े को इतना चाट
रही है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है।

सहदेव ने चौथा आश्चर्य देखा कि छः सात कुएँ हैं और आसपास
के कुओं में पानी है किन्तु बीच
का कुआँ खाली है। बीच का कुआँ
गहरा है फिर
भी पानी नहीं है।

पाँचवे भाई नकुल ने भी एक अदभुत आश्चर्य
देखा कि एक पहाड़ के ऊपर से एक
बड़ी शिला लुढ़कती-लुढ़कती
आती और कितने ही वृक्षों से टकराई
पर उन वृक्षों के तने उसे रोक न सके।
कितनी ही अन्य शिलाओं के साथ टकराई
पर वह रुक न सकीं। अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे
का स्पर्श होते ही वह स्थिर हो गई।

पाँचों भाईयों के आश्चर्यों का कोई पार नहीं ! शाम
को वे श्रीकृष्ण के पास गये और अपने अलग-
अलग दृश्यों का वर्णन किया।

युधिष्ठिर कहते हैं- "मैंने
दो सूँडवाला हाथी देखा तो मेरे आश्चर्य का कोई पार न
रहा।"

त(ब श्री कृष्ण कहते हैं- "कलियुग में ऐसे
लोगों का राज्य होगा जो दोनों ओर से शोषण करेंगे।
बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ।
ऐसे लोगों का राज्य होगा।
इससे तुम पहले राज्य कर लो।

अर्जुन ने आश्चर्य देखा कि पक्षी के पंखों पर वेद
की ऋचाएँ लिखी हुई हैं और
पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है।

इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे जो बड़े-
बड़े पंडित और विद्वान कहलायेंगे किन्तु वे
यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे
नाम से संपत्ति कर जाये।

"संस्था" के व्यक्ति विचारेंगे कि कौन सा मनुष्य मरे और
संस्था हमारे नाम से हो जाये।

हर जाति धर्म के प्रमुख पद पर बैठे
विचार करेंगे कि कब किसका
श्राद्ध है ?

चाहे कितने भी बड़े लोग होंगे किन्तु
उनकी दृष्टि तो धन के ऊपर (मांस के ऊपर)
ही रहेगी।

परधन परमन हरन को वैश्या बड़ी चतुर।
ऐसे लोगों की बहुतायत होगी, कोई कोई
विरला ही संत पुरूष होगा।

भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय
अपने बछड़े को इतना चाटती है कि बछड़ा लहुलुहान
हो जाता है।

कलियुग का आदमी शिशुपाल हो जायेगा।

बालकों के लिए इतनी ममता करेगा कि उन्हें अपने
विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा।

""किसी का बेटा घर छोड़कर साधु
बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे....

किन्तु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोयेंगे कि मेरे बेटे
का क्या होगा ?""

इतनी सारी ममता होगी कि उसे
मोहमाया और परिवार में ही बाँधकर रखेंगे और
उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा।

अंत में बिचारा अनाथ होकर मरेगा।

वास्तव में लड़के तुम्हारे नहीं हैं, वे तो बहुओं
की अमानत हैं,
लड़कियाँ जमाइयों की अमानत हैं और तुम्हारा यह
शरीर मृत्यु की अमानत है।

तुम्हारी आत्मा-परमात्मा की अमानत
है ।

तुम अपने शाश्वत संबंध को जान लो बस !

सहदेव ने चौथा आश्चर्य यह देखा कि पाँच सात भरे कुएँ के
बीच का कुआँ एक दम खाली !

कलियुग में धनाढय लोग लड़के-लड़की के विवाह में,
मकान के उत्सव में, छोटे-बड़े उत्सवों में तो लाखों रूपये खर्च कर
देंगे
परन्तु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा प्यासा होगा तो यह
नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है
या नहीं।

दूसरी और मौज-मौज में, शराब, कबाब, फैशन और
व्यसन में पैसे उड़ा देंगे।

किन्तु किसी के दो आँसूँ पोंछने में
उनकी रूचि न होगी और
जिनकी रूचि होगी उन पर कलियुग
का प्रभाव नहीं होगा, उन पर भगवान का प्रभाव
होगा।

पाँचवा आश्चर्य यह था कि एक बड़ी चट्टान पहाड़
पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टाने उसे रोक न
पाये किन्तु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह
चट्टान रूक गई।

कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा,
उसका जीवन पतित होगा।

यह पतित जीवन धन की शिलाओं से
नहीं रूकेगा न ही सत्ता के वृक्षों से
रूकेगा।

किन्तु हरिनाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन
के एक छोटे से पौधे मनुष्य जीवन का पतन
होना रूक जायेगा।
कृष्णम वन्दे जगत गुरु
जय जय श्री राम

पाँच आश्चर्य

श्रीकृष्ण कहते हैं- "तुम पाँचों भाई वन में जाओ
और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ।

मैं
तुम्हें उसका प्रभाव बताऊँगा।"

पाँचों भाई वन में गये।
युधिष्ठिर महाराज ने
देखा कि किसी हाथी की दो सूँड
है।

यह देखकर आश्चर्य का पार न रहा।

अर्जुन दूसरी दिशा में गये।
वहाँ उन्होंने देखा कि कोई पक्षी है, उसके पंखों पर
वेद की ऋचाएँ लिखी हुई हैं पर वह
पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है

यह भी आश्चर्य है !

भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय ने
बछड़े को जन्म दिया है और बछड़े को इतना चाट
रही है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है।

सहदेव ने चौथा आश्चर्य देखा कि छः सात कुएँ हैं और आसपास
के कुओं में पानी है किन्तु बीच
का कुआँ खाली है। बीच का कुआँ
गहरा है फिर
भी पानी नहीं है।

पाँचवे भाई नकुल ने भी एक अदभुत आश्चर्य
देखा कि एक पहाड़ के ऊपर से एक
बड़ी शिला लुढ़कती-लुढ़कती
आती और कितने ही वृक्षों से टकराई
पर उन वृक्षों के तने उसे रोक न सके।
कितनी ही अन्य शिलाओं के साथ टकराई
पर वह रुक न सकीं। अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे
का स्पर्श होते ही वह स्थिर हो गई।

पाँचों भाईयों के आश्चर्यों का कोई पार नहीं ! शाम
को वे श्रीकृष्ण के पास गये और अपने अलग-
अलग दृश्यों का वर्णन किया।

युधिष्ठिर कहते हैं- "मैंने
दो सूँडवाला हाथी देखा तो मेरे आश्चर्य का कोई पार न
रहा।"

त(ब श्री कृष्ण कहते हैं- "कलियुग में ऐसे
लोगों का राज्य होगा जो दोनों ओर से शोषण करेंगे।
बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ।
ऐसे लोगों का राज्य होगा।
इससे तुम पहले राज्य कर लो।

अर्जुन ने आश्चर्य देखा कि पक्षी के पंखों पर वेद
की ऋचाएँ लिखी हुई हैं और
पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है।

इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे जो बड़े-
बड़े पंडित और विद्वान कहलायेंगे किन्तु वे
यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे
नाम से संपत्ति कर जाये।

"संस्था" के व्यक्ति विचारेंगे कि कौन सा मनुष्य मरे और
संस्था हमारे नाम से हो जाये।

हर जाति धर्म के प्रमुख पद पर बैठे
विचार करेंगे कि कब किसका
श्राद्ध है ?

चाहे कितने भी बड़े लोग होंगे किन्तु
उनकी दृष्टि तो धन के ऊपर (मांस के ऊपर)
ही रहेगी।

परधन परमन हरन को वैश्या बड़ी चतुर।
ऐसे लोगों की बहुतायत होगी, कोई कोई
विरला ही संत पुरूष होगा।

भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय
अपने बछड़े को इतना चाटती है कि बछड़ा लहुलुहान
हो जाता है।

कलियुग का आदमी शिशुपाल हो जायेगा।

बालकों के लिए इतनी ममता करेगा कि उन्हें अपने
विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा।

""किसी का बेटा घर छोड़कर साधु
बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे....

किन्तु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोयेंगे कि मेरे बेटे
का क्या होगा ?""

इतनी सारी ममता होगी कि उसे
मोहमाया और परिवार में ही बाँधकर रखेंगे और
उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा।

अंत में बिचारा अनाथ होकर मरेगा।

वास्तव में लड़के तुम्हारे नहीं हैं, वे तो बहुओं
की अमानत हैं,
लड़कियाँ जमाइयों की अमानत हैं और तुम्हारा यह
शरीर मृत्यु की अमानत है।

तुम्हारी आत्मा-परमात्मा की अमानत
है ।

तुम अपने शाश्वत संबंध को जान लो बस !

सहदेव ने चौथा आश्चर्य यह देखा कि पाँच सात भरे कुएँ के
बीच का कुआँ एक दम खाली !

कलियुग में धनाढय लोग लड़के-लड़की के विवाह में,
मकान के उत्सव में, छोटे-बड़े उत्सवों में तो लाखों रूपये खर्च कर
देंगे
परन्तु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा प्यासा होगा तो यह
नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है
या नहीं।

दूसरी और मौज-मौज में, शराब, कबाब, फैशन और
व्यसन में पैसे उड़ा देंगे।

किन्तु किसी के दो आँसूँ पोंछने में
उनकी रूचि न होगी और
जिनकी रूचि होगी उन पर कलियुग
का प्रभाव नहीं होगा, उन पर भगवान का प्रभाव
होगा।

पाँचवा आश्चर्य यह था कि एक बड़ी चट्टान पहाड़
पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टाने उसे रोक न
पाये किन्तु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह
चट्टान रूक गई।

कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा,
उसका जीवन पतित होगा।

यह पतित जीवन धन की शिलाओं से
नहीं रूकेगा न ही सत्ता के वृक्षों से
रूकेगा।

किन्तु हरिनाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन
के एक छोटे से पौधे मनुष्य जीवन का पतन
होना रूक जायेगा।
कृष्णम वन्दे जगत गुरु
जय जय श्री राम

Never give up

Once there was a man who did not make it to university. So, his mother got him a wife. After the marriage, he worked as a teacher in a primary school.  Due to the lack of experience, he was squashed by the students in less than a week.

When he returned home,  his wife dried his tears. She comforted him with these words. 'When one is too full, he could either pour it out what's in him or he just could not pour it out at all. You should not be too sad about it. Probably there is a more suitable job waiting for you out there.'

Later on, he found another job and not for so long, he was fired due to his slowness. This time, the wife commented. 'There are always people who are skilful and non skilful. Some have experience from their years of work. As for you,  you were in school all this while. So, how could you acquire these needed skills?'

He went for a number of jobs but never stayed long in those jobs. Each time,  he would return home with a dejected spirit. His wife would always comfort him and never for once, she was disappointed or resentful.

He was in his thirties when he aquired a flair in languages.  He became a counselor in a school for the deaf and mute. Later on,  he opened a school for the disabled. A few years later, he set up chain stores in different cities and provinces selling apparatus & equipment for the disabled. He became a multi-millionaire.

One day he asked his wife. 'When I was looking bleak at my own future, what's the reason that you have so much faith in me?'

His wife gave him a very simple reply.  She said, 'When a piece of land is not suitable for planting wheat, we could try planting beans. If the beans are not growing well,  we could try planting fruits or gourds. If the vegetation is not economical,  we can instead scatter buckwheat seeds. These seeds will one day bloom into flowers. On this land itself, there will be one seed that will germinate and grow.'

After having listened to the wife's explanation, he cried.  His wife's faith, love, patience, and persistence in him is liken to the one seed in the land. This is the seed that persists and creates the miracle on this piece of land.

"In this world,  there's no one person who is useless. It is just that they have not positioned themselves firmly in right place"

Having read this story, pls do not ignore it. Share it and you will find yourself very happy and be blessed.

8 advices to share herein.

1. When we do not value things, a mountain of gold will not bring us happiness

2.  When we are not tolerant, no matter how many friends we have,  they will soon leave us.

3.  When we have no gratitude, no matter how excellent we are, we would always have difficulties & discontentment in success.

4.  When we don't put ourselves into actions,  no matter how smart we are,  we will never realize our dreams.

5.  When we don't cooperate with others, no matter how hard we've worked, we couldn't make it big on our own

6.  When we don't know about savings, no matter how rich we strike, we couldn't be wealthy.

7. When we don't know how to be contented, even how wealthy we are, we are still not blissful.

8.  When we don't understand wellness, any advanced medical treatment will not bring longevity.

Hopefully the above had brought true meaning to your mind and soul

रविवार, 26 अप्रैल 2015

भस्मासुर


एक जंगली बकरी के पीछे शिकारी कुत्ते दौड़े। बकरी जान बचाकर अंगूरों की झाड़ीमें घुस गयी। कुत्ते आगे निकल गए। बकरी ने निश्चिंतापूर्वक अँगूर की बेले खानी शुरु कर दी और जमीन से लेकर अपनी गर्दन पहुचे उतनी दूरी तक के सारे पत्ते खा लिए। पत्ते झाडी में नही रहे। छिपने का सहारा समाप्त् हो जाने पर कुत्तो ने उसे देख लिया और मार डाला !!
सहारा देने वाले को जो नष्ट करता है , उसकी ऐसी ही दुर्गति होती है।
मनुष्य भी आज सहारा देने वाले पेड़ पौधो, जानवर, गाय, पर्वतो आदि को नुकसान पंहुचा रहा है और इन सभी का परिणाम भी अनेक आपदाओ के रूप में भोग रहा है।

गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

जीवन के लिए खर्च

" पिज़्ज़ा या खुशियाँ "
---------------------------
पत्नी ने कहा - आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत
निकालना…

पति - क्यों? 

उसने कहा..- अपनी काम वाली बाई दो दिन नहीं आएगी…

पति- क्यों?

पत्नी - गणपति के लिए अपने नाती से मिलने बेटी के यहाँ जा रही है, बोली थी…

पति - ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता…

पत्नी - और हाँ!!! गणपति के लिए पाँच सौ रूपए दे दूँ
उसे? त्यौहार का बोनस..

पति - क्यों? अभी दिवाली आ ही रही है, तब दे देंगे…

पत्नी - अरे नहीं बाबा!! गरीब है बेचारी, बेटी - नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा … और इस महँगाई के दौर में उसकी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!!

पति - तुम भी ना… जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो …

पत्नी - अरे नहीं… चिंता मत करो… मैं आज का पिज़्ज़ा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ…
खामख्वाह पाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे, बासी पाव के उन आठ टुकड़ों के पीछे…

पति - वाह, वाह … क्या कहने !! हमारे मुँह से पिज़्ज़ा छीनकर बाई की थाली में !

तीन दिन बाद …

पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई
से पति ने पूछा ...

पति - क्या बाई, कैसी रही छुट्टी?

बाई - बहुत बढ़िया हुई साहब … दीदी ने पाँच सौ रूपए दिए थे ना .. त्यौहार का बोनस ..

पति - तो जा आई बेटी के यहाँ … मिल ली अपने नाती से … ?

बाई - हाँ साब … मजा आया, दो दिन में 500 रूपए खर्च कर दिए …
पति - अच्छा !! मतलब क्या किया 500 रूपए का?

बाई - नाती के लिए 150 रूपए का शर्ट, 40 रूपए की गुड़िया, बेटी को 50 रूपए के पेढे लिए, 50 रूपए के पेढे मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, 60 रूपए किराए के लग गए.. 25 रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए और जमाई के लिए
50 रूपए का बेल्ट लिया अच्छा सा … बचे हुए 75 रूपए
नाती को दे दिए कॉपी - पेन्सिल खरीदने के लिए …
झाड़ू - पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी ज़बान पर
रटा हुआ था…

पति - 500 रूपए में इतना कुछ...???

वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा ... उसकी
आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज़्ज़ा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा … अपने एक पिज़्ज़ा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने
लगा …
पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का, दूसरा टुकड़ा पेढे का,
तीसरा टुकड़ा मंदिर का प्रसाद, चौथा किराए का,
पाँचवाँ गुड़िया का,
छठवां टुकड़ा चूडियों का, सातवाँ जमाई के बेल्ट का और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी - पेन्सिल का ... आज तक उसने
हमेशा पिज़्ज़ा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटाकर नहीं देखा था कि पिज़्ज़ा पीछे से कैसा दिखता है …
लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज़्ज़ा की दूसरी बाजू दिखा दी थी …
पिज़्ज़ा के आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे …
“जीवन के लिए खर्च” या “खर्च के लिए जीवन” का नवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ आ
गया…'

मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

भगवान को समझ क्या रखा है

चिंतनीय प्रसंग

आज मंदिर में बहुत भीड़ थी,
एक लड़का दर्शन के लिए लगी लम्बी लाइन को कुतुहल से देख रहा था।
तभी पास में एक पंडित जी आ गए और बोले-"आज बहुत लम्बी कतार है,
यूँ दर्शन नहीं हो पाएंगे,
विशिष्ट व्यक्तियों के लिए विशेष व्यवस्था है, 501 रू दो
में सीधे दर्शन करवा दूँगा !

"लड़का बोला-"
में 5100 दूंगा,
भगवान से कहो
बाहर आकर मिल लें,
कहना- मैं आया हूँ !

"पंडितजी बोले-" मजाक करते हो, भगवान भी कभी मंदिर से बाहर आते हैं क्या तुम हो कौन ?"

लड़का फिर बोला-"
मैं 51000 दूंगा, उनसे कहो
मुझ से मेरे घर पर आकर मिल लें

"पंडितजी (सकपका गए और) बोले-"तुमने भगवान को समझ क्या रखा रखा है

"लड़का बोला-"
वही तो मैं भी पूछना चाहता हूँ
कि आपने भगवान को
समझ क्या रखा है ??

रविवार, 19 अप्रैल 2015

बिटिया

घर आने पर दौड़ कर जो पास आये, उसे कहते हैं "बिटिया"
थक जाने पर प्यार से जो माथा सहलाए, उसे कहते हैं "बिटिया"
"कल दिला देंगे" कहने पर जो मान जाये, उसे कहते हैं "बिटिया"
हर रोज़ समय पर दवा की जो याद दिलाये, उसे कहते हैं "बिटिया"
घर को मन से फूल सा जो सजाये, उसे कहते हैं "बिटिया"
सहते हुए भी अपने दुख जो छुपा जाये, उसे कहते हैं "बिटिया"
दूर जाने पर जो बहुत रुलाये, उसे कहते हैं "बिटिया"
पति की होकर भी पिता को जो ना भूल पाये, उसे कहते हैं "बिटिया"
मीलों दूर होकर भी पास होने का जो एहसास दिलाये, उसे कहते हैं "बिटिया"
"अनमोल हीरा" जो कहलाये, उसे कहते हैं "बिटिया" भगवान हर पिता को एक बेटी जरुर दे।।।एक पापा।।

करम फूटे

हरप्रीत सिंह इंग्लैंड में रहता था।

उसके साथ उसकी माँ और बाबूजी भी रहा करते थे।
अचानक उसकी माँ चल बसी
तो उसने माँ का पार्थिव शरीर बक्से में पैक करवा कर अपने गाँव भेजा।

गाँव में उसके भाई मनप्रीत सिंह ने बक्सा खोला तो देखा कि बक्से में माँ की लाश तो थी, लेकिन एक इंच जगह भी खाली नहीं थी। माँ के हाथ छाती पर थे और अंगुलियों में एक चिट्ठी फँसी थी।

मनप्रीत ने ऊँची आवाज़ में वह चिट्ठी पढ़नी शुरू की।

"प्यारे भाई मनप्रीत, जसप्रीत, सुखविंदर और परमिंदर,
माफ़ करना मैं ख़ुद नहीं आ सका क्योंकि मेरी तनख़्वाह काट दी जाती।

मैं माँ को बक्से में इसलिए भेज रहा हूँ, क्योंकि वह चाहती थी कि उसका क्रियाकर्म गाँव में ही हो।

लाश के नीचे इंपोर्टेड चॉकलेट के कई पैकेट रखे हैं, इसे बच्चों में बाँट देना।

यहाँ अखरोट अच्छे मिलते हैं इसलिए तुम्हें बक्से में अखरोट के भी दो बड़े पैकेट मिलेंगे।

माँ के पैरों में तुम्हें दो जोड़े सैंडल के और एक जोड़ा रीबॉक जूतों का बंधा मिलेगा।
सैंडल संतो मौसी और राजवंत कौर के लिए हैं, और जूते मोहिंदर के लिए हैं। शायद साइज़ ठीक ही होगा।

माँ ने चार जींस पहनी हुई हैं,

एक तुम्हारे लिए, एक जसप्रीत और बाक़ी दोनों सुखविंदर और परमिंदर के लिए है।

माँ के एक हाथ में स्विस घड़ी होगी,

जिसे प्रीतो भाभी ने मंगाया था।

जीतो ने जो नेकलेस मंगाया था वह माँ के गले में है,

पम्मी ने जो कान की बालियाँ मंगाई थीं वह माँ के कानों में हैं।
उन्हें ये सारी चीज़ें निकाल कर दे देना।

माँ कै पैरो में छः जोड़ी मोज़े हैं,

उन्हें मेरे भतीजों के बीच बाँट देना।

माँ ने छः टी-शर्ट भी पहन रखे हैं,

उन्हें मेरे सालों को दे देना।

अगर किसी और चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बता देना,

आजकल बाबूजी की तबीयत भी ज़रा ठीक नहीं रहती"।

Buddha and thirst

Once Buddha was traveling with a few of his followers.
While they were passing a lake, Buddha told one of his disciples, "I am thirsty. Do get me some water from the lake."

The disciple walked up to the lake.
At that moment, a bullock cart started crossing through the lake.
As a result, the water became very muddy and turbid.

The disciple thought, "How can I give this muddy water to Buddha to drink?"

So he came back and told Buddha, "The water in there is very muddy. I don't think it is fit to drink."

After about half an hour, again Buddha asked the same disciple to go back
to the lake.

The disciple went back, and found that the water was still muddy.

He returned and informed Buddha about the same.

After sometime, again Buddha asked the same disciple to go back.

This time, the disciple found the mud had settled down, and the water was clean and clear.

So he collected some water in a pot and brought it to Buddha.

Buddha looked at the water, and then he looked up at the disciple and said, "See what you did to make the water clean. You let it be, and the mud settled down on its own, and you have clear water."

Your mind is like that too ! When it is disturbed, just let it be. Give it a little time. It will settle down on its own.

You don't have to put in any effort to calm it down.
It will happen. It is effortless."

Having 'Peace of Mind' is not a strenuous job, it is an effortless process??so keep ur mind cool and have a grt life ahead...

Never leave Your close ones.
If you find few faults in them just close Your eyes
'n Remembr the best time You spent together
because affection is More Important than Perfection..!
Neither you can hug yourself nor you can cry on your own shoulder.

Life is all about living for one another, so live with those who love you the most...

मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

Maths में बातें


पप्पू: सर जी लोग हिंदी या इंग्लिश म ही बात करते है। मैथ्स में क्यों नही..?

टीचर : ज्यादा 3-5 न कर, 9-2-11 हो जा, वरना 5-7 खीच के दूंगा 6 के 36 नज़र आयेंगे और 32 के 32  बहार आ जायेंगे।।

पप्पू : बस सर..... हिंदी और इंग्लिश ही ठीक है। मैथ्स वाकई खोफनाक सब्जेक्ट है।।

बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा

एक युवक....
मैं तकरीबन 20 साल के बाद अपने शहर लौटा था!
बाज़ार में घुमते हुए सहसा मेरी नज़रें सब्जी का ठेला
लगाये एक बूढे पर जा टिकीं, बहुत कोशिश के बावजूद
भी मैं उसको पहचान नहीं पा रहा था !
लेकिन न जाने बार बार ऐसा क्यों लग रहा था की मैं
उसे बड़ी अच्छी तरह से जनता हूँ !
मेरी उत्सुकता उस बूढ़े से भी छुपी न रही , उसके
चेहरे पर आई अचानक मुस्कान से मैं समझ गया था
कि उसने मुझे पहचान लिया था !
काफी देर की जेहनी कशमकश के बाद जब मैंने उसे
पहचाना तो मेरे पाँव के नीचे से मानो ज़मीन खिसक
गई !
जब मैं विदेश गया था तो इसकी एक बहुत बड़ी आटा
मिल हुआ करती थी नौकर चाकर आगे पीछे घूमा करते
थे ! धर्म कर्म, दान पुण्य में सब से अग्रणी इस
दानवीर पुरुष को मैं ताऊजी कह कर बुलाया करता था !
वही आटा मिल का मालिक और
आज सब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर?
मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके पास जा पहुँचा और
बहुत मुश्किल से रुंधे गले से पूछा :
"ताऊ जी, ये सब कैसे हो गया?"
भरी ऑंखें लिए मेरे कंधे पर हाथ रख उसने उत्तर
दिया:-
"बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा".

रविवार, 12 अप्रैल 2015

कैरियर का सबक

एक पुराना ग्रुप कॉलेज छोड़ने
के बहुत दिनों बाद मिला।

वे सभी अच्छे केरियर के साथ
खूब पैसे ✈कमा रहे थे।

वे अपने सबसे फेवरेट प्रोफेसर
के घर जाकर मिले।

प्रोफेसर साहब उनके काम
के बारे में पूछने लगे।
धीरे-धीरे बात लाइफ में
बढ़ती स्ट्रेस और काम
के प्रेशर पर आ गयी।

इस मुद्दे पर सभी एक मत थे कि,
भले वे अब आर्थिक रूप से
बहुत मजबूत हों पर
उनकी लाइफ में अब
वो मजा नहीं रह गया
जो पहले हुआ करता था।

प्रोफेसर साहब बड़े ध्यान से
उनकी बातें सुन रहे थे,
वे अचानक ही उठे और
थोड़ी देर बाद किचन से
लौटे और बोले,

”डीयर स्टूडेंट्स,
मैं आपके लिए गरमा-गरम ☕
कॉफ़ी ☕बना कर आया हूँ ,
लेकिन प्लीज आप सब
किचन में जाकर अपने-अपने
लिए कप्स लेते आइये।"

लड़के तेजी से अंदर गए,
वहाँ कई तरह के कप रखे हुए थे,
सभी अपने लिए अच्छा से अच्छा
कप उठाने में लग गये,

किसी ने क्रिस्टल का
शानदार कप उठाया
तो किसी ने पोर्सिलेन का
कप सेलेक्ट किया,
तो किसी ने शीशे का कप उठाया।

सभी के हाथों में कॉफी ⚓आ गयी
तो प्रोफ़ेसर साहब बोले, 
"अगर आपने ध्यान दिया हो तो,
जो कप दिखने में अच्छे और महंगे थे
आपने उन्हें ही चुना और
साधारण दिखने वाले कप्स
की तरफ ध्यान नहीं दिया।

जहाँ एक तरफ अपने लिए
सबसे अच्छे की चाह रखना
एक नॉर्मल बात है
वहीँ दूसरी तरफ ये
हमारी लाइफ में प्रोब्लम्स
और स्ट्रेस लेकर आता है।

फ्रेंड्स, ये तो पक्का है कि
कप, कॉफी  ☕की क्वालिटी
में कोई बदलाव नहीं लाता।
ये तो बस एक जरिया है
जिसके माध्यम से आप कॉफी  ☕पीते है।
असल में जो आपको चाहिए था
वो बस कॉफ़ी थी, कप नहीं,

पर फिर भी आप सब
सबसे अच्छे कप के पीछे ही गए
और अपना लेने के बाद
दूसरों के कप ☕निहारने लगे।"

अब इस बात को ध्यान से सुनिये ...
"ये लाइफ कॉफ़ी ☕की तरह है ;
हमारी नौकरी, पैसा,
पोजीशन, कप की तरह हैं।
ये बस लाइफ जीने के साधन हैं,
खुद लाइफ नहीं ! और
हमारे पास कौन सा कप है
ये न हमारी लाइफ को
डिफाइन करता है
और ना ही उसे चेंज करता है।
कॉफी की चिंता करिये कप की नहीं।"

"दुनिया के सबसे खुशहाल लोग
वो नहीं होते जिनके पास
सबकुछ सबसे बढ़िया होता है,
पर वे होते हैं, जिनके पास जो होता है
बस उसका सबसे अच्छे से यूज़ करते हैं.
एन्जॉय करते हैं और भरपूर जीवन जीते हैं!

सादगी से जियो।
सबसे प्रेम करो।
सबकी केअर करो।
जीवन का आनन्द लो,
यही असली जीना है।

सच के वस्त्र

एक बार सच और झूठ नदी में स्नान करने
पहुंचे। दोनो ने अपने-अपने कपड़े उतार
कर नदी के तट पर रख दिए और झट-पट
नदी में कूद पड़े। सबसे पहले झूठ नहाकर
नदी से बाहर आया और सच के कपड़े पहनकर
चला गया। सच अभी भी नहा रहा था। जब वह
स्नान कर बाहर निकला तो उसके कपड़े गायब थे।
वहां तो झूठ के कपड़े पड़े थे। भला सच उसके कपड़े
कैसे पहनता?
कहते हैं तब से सच नंगा है और झूठ सच के कपड़े पहनकर सच के रूप में प्रतिष्ठित है।

स्वर्ग यहीं हैं.

लोहे की एक छड़ का मूल्य होता है 250 रूपये.
इससे घोड़े की नाल बना दी जाये
तो इसका मूल्य हो जाता है 1000 रूपये.
इससे सुईयां बना दी जायें तो इसका मूल्य हो जाता है 10,000 रूपये.

इससे घड़ियों के बैलेंस स्प्रिंग बना दिए जायें तो इसका मूल्य हो जाता है 1,00,000 रूपये... --

"आपका अपना मूल्य-- इससे निर्धारित नहीं होता कि आप क्या है बल्कि इससे निर्धारित होता है कि आप में खुद को क्या बनाने की क्षमता है"!!!!
इतने छोटे बनिए कि
हर कोई आपके साथ बैठे,
..ओर इतने बड़े बनिए कि
आप खड़े हो तो कोई बैठा न रहे..!!

कभी कभी
आप अपनी जिंदगी से
निराश हो जाते हैं,
जबकि
दुनिया में उसी समय
कुछ लोग
आपकी जैसी जिंदगी
जीने का सपना देख रहे होते हैं।

घर पर खेत में खड़ा बच्चा
आकाश में उड़ते हवाई जहाज
को देखकर
उड़ने का सपना देख रहा होता है,
परंतु
उसी समय
उसी हवाई जहाज का पायलट
खेत ओर बच्चे को देख
घर लौटने का सपना
देख रहा होता है।

यही जिंदगी है।
जो तुम्हारे पास है उसका मजा लो।

अगर धन-दौलत रूपया पैसा ही
खुशहाल होने का सीक्रेट होता,
तो अमीर लोग नाचते दिखाई पड़ते,
लेकिन सिर्फ गरीब बच्चे
ऐसा करते दिखाई देते हैं।

अगर पाॅवर (शक्ति) मिलने से
सुरक्षा आ जाती
तो
नेता अधिकारी
बिना सिक्युरिटी के नजर आते।
परन्तु
जो सामान्य जीवन जीते हैं,
वे चैन की नींद सोते हैं।

अगर खुबसुरती और प्रसिद्धि
मजबूत रिश्ते कायम कर सकती
तो
सेलीब्रिटीज् की शादियाँ
सबसे सफल होती।
जबकि इनके तलाक
सबसे सफल होते हैं

इसलिए दोस्तों,
यह जिंदगी ......

सभी के लिए खुबसुरत है
इसको जी भरकर जीयों,
इसका भरपूर लुत्फ़ उठाओ
क्योंकि
जिदंगी ना मिलेगी दोबारा...

सामान्य जीवन जियें...
विनम्रता से चलें ...
और
ईमानदारी पूर्वक प्यार करें...

स्वर्ग यहीं हैं...