रविवार, 7 जनवरी 2018

परिंदे रुक मत,

*परिंदे रुक मत, तुझमे जान बाकी है*
*मन्जिल दूर है बहुत, उड़ान बाकी है.*

*आज या कल, मुट्ठी में होगी दुनियाँ*
*लक्ष्य पर अगर, तेरा ध्यान बाकी है*..

*यूँ ही नहीं मिलती, रब की मेहरबानी*
*एक से बढ़कर एक, इम्तेहान बाकी है.*

*जिंदगी की जंग में, है हौसला जरुरी*
*जीतने के लिए, सारा जहान बाकी है*                                         

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