गुरुवार, 10 अगस्त 2017

उड़ान

उड़ान

              घने जंगल में गिद्धों का एक झुण्ड रहता था। गिद्ध झुण्ड बनाकर लम्बी उड़ान भरते और शिकार की तलाश किया करते थे। एक बार गिद्धों का झुण्ड उड़ते उड़ते एक ऐसे टापू पर पहुँच गया जहां पर बहुत ज्यादा मछली और मेंढक खाने को थे।
             इस टापू पर गिद्धों को रहने के लिए सारी सुविधाएँ मौजूद थीं। अब तो सारे गिद्ध बड़े खुश हुए, मजे से वो उसी टापू पर रहने लगे, अब ना ही रोज शिकार की तलाश में जाना पड़ता और ना ही कुछ मेहनत करनी पड़ती। दिन रात गिद्ध बिना कोई काम किये मौज करते और आलस्य में पड़े रहते थे।
          उस झुण्ड में एक बूढ़ा गिद्ध भी था, बूढ़े गिद्ध को अपने साथियों की ऐसी दशा देखकर बहुत चिंता हुई। वो गिद्धों को चेतावनी देते हुए बोला, "मित्रों! हम गिद्धों को ऊँची उड़ान और अचूक निशाने और उत्तम शिकारी के रूप में जाना जाता है। लेकिन इस टापू पर आकर सभी गिद्धों को आराम की आदत हो गई है और कुछ तो कई दिन से उड़े ही नहीं हैं। यह हमारी क्षमता और हमारे भविष्य के लिए घातक हो सकता है। अतः हमें अपने पुराने जंगलों में ही वापस लौट जाना चाहिये।
             अब सारे गिद्ध उस बूढ़े गिद्ध की हंसी उड़ाने लगे कि, "यह बूढ़े हो चुके हैं इनका दिमाग काम नहीं कर रहा है, यहाँ हम कितनी मौज मस्ती से रह रहे हैं वापस वहां जंगल में क्यों जाएँ?"
              यही सोचकर सभी गिद्धों ने जाने से मना कर दिया।
             लेकिन बूढ़ा गिद्ध वापस चला गया।
                  कुछ दिन बाद जंगल में रहते रहते उस बूढ़े गिद्ध ने सोचा कि, मेरा जीवन अब बहुत थोड़ा ही बचा है तो क्यों ना अपने सगे सम्बन्धियों से मिल लिया जाये।
        गिद्ध ने ऊँची उड़ान भरी और पहुँच गया उसी टापू पर जँहा अपने साथियों को छोड़ा था।
           लेकिन यह क्या?
पूरे टापू पर उसके साथयों की क्षत-विक्षत लाशें पड़ीं थीं।कुछ साथी बुरी तरह घायल अवस्था में कराह रहे थे।
           अचानक उसकी नज़र एक घायल गिद्ध पर पड़ी। उसने बताया कि, "कुछ दिन पहले चीतों का एक झुण्ड आया। जब चीतों ने हम पर हमला किया तो हम लोगों ने उड़ना चाहा लेकिन हम ऊँचा उड़ ही नहीं पाए और ना ही हमारे पंजों में इतनी ताकत थी कि हम उनका मुकाबला कर पाते।"
           चीतों ने एक एक कर सारे गिद्धों को घायल कर दिया और कुछ को मारकर खा गए।जो घायलावस्था में बचे वे भी शक्ति क्षीण होने के कारण धीरे धीरे काल के मुँह में समाते जा रहें हैं।"
           बूढे गिद्ध ने घायलों की सार-सम्भाल की और उन्हें पुनः उड़ान के लिए प्रेरित कर अपने साथ पुराने जंगल में ले गया।

           *मित्रों! हमारे जीवन में भी कुछ ऐसा ही होता है,यदि हम अपनी शक्तियों का लगातार प्रयोग नहीं करते हैं तो हम कमजोर पड़ते जाते हैं और एक दिन हमारी शक्तियां हमारे काम की ही नहीं रहतीं।*
          *यदि हम अज्ञानता या लालच के वशीभूत होकर अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करते हैं तो हमारे दिमाग की क्षमता घटने लगती है।*
            *हम अपने शरीर का उपयोग नहीं करते हैं तो हमारी ताकत भी घटने लग जाती है।*
            *धीरे धीरे हमारी शक्तियां ही हमारी कमजोरियां बनती चली जाती हैं।*
        

डाल

   _*बहुत समय पहले की बात है ,*_

_एक राजा को उपहार में किसी ने बाज के दो बच्चे भेंट किये ।_

_वे बड़ी ही अच्छी नस्ल के थे ,  और राजा ने कभी इससे पहले इतने शानदार बाज नहीं देखे थे।_

_राजा ने उनकी देखभाल के लिए एक अनुभवी आदमी को नियुक्त कर दिया।_

_जब कुछ महीने बीत गए तो राजा ने बाजों को देखने का मन बनाया ,और उस जगह पहुँच गए जहाँ उन्हें पाला जा रहा था।_

_राजा ने देखा कि दोनों बाज काफी बड़े हो चुके थे और अब पहले से भी शानदार लग रहे थे ।_

_राजा ने बाजों की देखभाल कर रहे
आदमी से कहा,_
_” मैं इनकी उड़ान देखना चाहता हूँ , तुम इन्हे उड़ने का इशारा करो ।_

_“ आदमी ने ऐसा ही किया। इशारा मिलते ही दोनों बाज उड़ान भरने लगे ,_

_पर जहाँ एक बाज आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा था ,_
_वहीँ दूसरा , कुछ ऊपर जाकर वापस उसी डाल पर आकर बैठ गया_

_जिससे वो उड़ा था। ये देख , राजा को कुछ अजीब लगा._

_“क्या बात है जहाँ एक बाज इतनी अच्छी उड़ान भर रहा है वहीँ ये दूसरा बाज उड़ना ही नहीं चाह रहा ?”,_

_राजा ने सवाल किया।_

_*” जी हुजूर , इस बाज के साथ शुरू से यही समस्या है , वो इस डाल को छोड़ता ही नहीं।”*_

_राजा को दोनों ही बाज प्रिय थे , और वो दूसरे बाज को भी उसी तरह उड़ना देखना चाहते थे।_

_अगले दिन पूरे राज्य में ऐलान करा दिया गया,कि जो व्यक्ति इस बाज को ऊँचा उड़ाने में कामयाब होगा उसे ढेरों इनाम दिया जाएगा।_

_फिर क्या था , एक से एक विद्वान् आये और बाज को उड़ाने का प्रयास करने लगे ,_

_पर हफ़्तों बीत जाने के बाद भी बाज
का वही हाल था, वो थोडा सा उड़ता और वापस डाल पर आकर बैठ जाता।_

_फिर एक दिन कुछ अनोखा हुआ , राजा ने देखा कि उसके दोनों बाज आसमान में उड़ रहे हैं।_

_उन्हें अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ और उन्होंने तुरंत उस व्यक्ति का पता लगाने को कहा जिसने ये कारनामा कर दिखाया था।_

_वह व्यक्ति एक किसान था। अगले दिन वह दरबार में हाजिर हुआ। उसे इनाम में स्वर्ण मुद्राएं भेंट करने के बाद राजा ने कहा ,_

_” मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ , बस तुम
इतना बताओ कि जो काम बड़े-बड़े
विद्वान् नहीं कर पाये वो तुमने कैसे
कर दिखाया।_

_“ “मालिक !_ _मैं तो एक साधारण सा किसान हूँ , मैं ज्ञान की ज्यादा बातें नहीं जानता , मैंने तो बस वो डाल काट दी जिसपर बैठने का बाज आदि हो चुका था, और जब वो डाल ही नहीं रही तो वो भी अपने साथी के साथ ऊपर उड़ने लगा।_

_“दोस्तों, हम सभी ऊँचा उड़ने के लिए ही बने हैं।_

_लेकिन कई बार हम जो कर रहे होते है उसके इतने आदि हो जाते हैं कि अपनी ऊँची उड़ान भरने की , कुछ_
_बड़ा करने की काबिलियत को, भूल जाते हैं।_

_यदि आप भी सालों से किसी ऐसे ही काम में लगे हैं जो आपके सही potential के मुताबिक नहीं है तो एक बार ज़रूर सोचिये_

_कि कहीं आपको भी उस डाल को काटने की ज़रुरत तो नहीं जिसपर आप बैठे हैं ?_

_"Luck is what happens when"_
_"preparation meets opportunity

घमंड और साधना

घमंड और साधना
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संत कबीर गांव के बाहर झोपड़ी बनाकर अपने पुत्र कमाल के साथ रहते थे. संत कबीर जी का रोज का नियम था- नदी में स्नान करके गांव के सभी मंदिरों में जल चढाकर दोपहर बाद भजन में बैठते, शाम को देर से घर लौटते.
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वह अपने नित्य नियम से गांव में निकले थे. इधर पास के गांव के जमींदार का एक ही जवान लडका था जो रात को अचानक मर गया. रात भर रोना-धोना चला.
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आखिर में किसी ने सुझाया कि गांव के बाहर जो बाबा रहते हैं उनके पास ले चलो. शायद वह कुछ कर दें. सब तैयार हो गए. लाश को लेकर पहुंचे कुटिया पर. देखा बाबा तो हैं नहीं, अब क्या करें ?
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तभी कमाल आ गए. उनसे पूछा कि बाबा कब तक आएंगे ? कमाल ने बताया कि अब उनकी उम्र हो गई है. सब मंदिरों के दर्शन करके लौटते-लौटते रात हो जाती है. आप काम बोलो क्या है ?
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लोगों ने लड़के के मरने की बात बता दी. कमाल ने सोचा कोई बीमारी होती तो ठीक था पर ये तो मर गया है. अब क्या करें ! फिर भी सोचा लाओ कुछ करके देखते हैं. शायद बात बन जाए.
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कमाल ने कमंडल उठाया. लाश की तीन परिक्रमा की. फिर तीन बार गंगा जल का कमंडल से छींटी मारा और तीन बार राम नाम का उच्चारण किया. लडका देखते ही देखते उठकर खड़ा हो गया. लोगों की खुशी की सीमा न रही.
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इधर कबीर जी को किसी ने बताया कि आपके कुटिया की ओर गांव के जमींदार और सभी लोग गए हैं. कबीर जी झटकते कदमों से बढ़ने लगे. उन्हें रास्ते में ही लोग नाचते कूदते मिले. कबीर जी कुछ समझ नही पाए.
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आकर कमाल से पूछा कया बात हुई ? तो कमाल तो कुछ ओर ही बताने लगा. बोला- गुरु जी बहुत दिन से आप बोल रहे थे ना की तीर्थ यात्रा पर जाना है तो अब आप जाओ यहां तो मैं सब संभाल लूंगा.
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कबीर जी ने पूछा क्या संभाल लेगा ? कमाल बोला- बस यही मरे को जिंदा करना, बीमार को ठीक करना. ये तो सब अब मैं ही कर लूंगा. अब आप तो यात्रा पर जाओ जब तक आप की इच्छा हो.
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कबीर ने मन ही मन सोचा- चेले को सिद्धि तो प्राप्त हो गई है पर सिद्धि के साथ ही साथ इसे घमंड भी आ गया है. पहले तो इसका ही इलाज करना पडेगा बाद मे तीर्थ यात्रा होगी क्योंकि साधक में घमंड आया तो साधना समाप्त हो जाती है.
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कबीर जी ने कहा ठीक है. आने वाली पूर्णमासी को एक भजन का आयोजन करके फिर निकल जाउंगा यात्रा पर. तब तक तुम आस-पास के दो चार संतो को मेरी चिट्ठी जाकर दे आओ. भजन में आने का निमंत्रण भी देना.
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कबीर जी ने चिट्ठी मे लिखा था-
कमाल भयो कपूत,
कबीर को कुल गयो डूब.
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कमाल चिट्ठी लेकर गया एक संत के पास. उनको चिट्ठी दी. चिट्ठी पढ के वह समझ गए. उन्होंने कमाल का मन टटोला और पूछा कि अचानक ये भजन के आयोजन का विचार कैसे हुआ ?
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कमाल ने अहं के साथ बताया- कुछ नहीं. गुरू जी की लंबे समय से तीर्थ पर जाने की इच्छा थी. अब मैं सब कर ही लेता हूं तो मैने उन्हें कहा कि अब आप जाओ यात्रा कर आओ. तो वह जा रहे है ओर जाने से पहले भजन का आयोजन है.
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संत दोहे का अर्थ समझ गए. उन्होंने कमाल से पूछा- तुम क्या क्या कर लेते हो ? तो बोला वही मरे को जिंदा करना बीमार को ठीक करना जैसे काम.
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संत जी ने कहा आज रूको और शाम को यहां भी थोडा चमत्कार दिखा दो. उन्होंने गांव में खबर करा दी. थोडी देर में दो तीन सौ लोगों की लाईन लग गई. सब नाना प्रकार की बीमारी वाले. संत जी ने कमाल से कहा- चलो इन सबकी बीमारी को ठीक कर दो.
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कमाल तो देख के चौंक गया. अरे, इतने सारे लोग हैं. इतने लोगों को कैसे ठीक करूं. यह मेरे बस का नहीं है. संत जी ने कहा- कोई बात नहीं. अब ये आए हैं तो निराश लौटाना ठीक नहीं. तुम बैठो.
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संत जी ने लोटे में जल लिया और राम नाम का एक बार उच्चारण करके छींट दिया. एक लाईन में खड़े सारे लोग ठीक हो गए. फिर दूसरी लाइन पर छींटा मारा वे भी ठीक. बस दो बार जल के छींटे मार कर दो बार राम बोला तो सभी ठीक हो के चले गए.
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संत जी ने कहा- अच्छी बात है कमाल. हम भजन में आएंगे. पास के गांव में एक सूरदास जी रहते हैं. उनको भी जाकर बुला लाओ फिर सभी इक्ठ्ठे होकर चलते हैं भजन में.
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कमाल चल दिया सूरदास जी को बुलाने. सारे रास्ते सोचता रहा कि ये कैसे हुआ कि एक बार राम कहते ही इतने सारे बीमार लोग ठीक हो गए. मैंने तीन बार प्रदक्षिणा की. तीन बार गंगा जल छिड़क कर तीन बार राम नाम लिया तब बात बनी.
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यही सोचते-सोचते सूरदास जी की कुटिया पर पहुंच गया. जाके सब बात बताई कि क्यों आना हुआ. कमाल सुना ही रहा था कि इतने में सूरदास बोले- बेटा जल्दी से दौड के जा. टेकरी के पीछे नदी में कोई बहा जा रहा है. जल्दी से उसे बचा ले.
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कमाल दौड के गया. टेकरी पर से देखा नदी में एक लडका बहा आ रहा था. कमाल नदी में कूद गया और लडके को बाहर निकाल कर अपनी पीठ जी लादके कुटिया की तरफ चलने लगा.
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चलते- चलते उसे विचार आया कि अरे सूरदास जी तो अंधे हैं. फिर उन्हें नदी और उसमें बहता लडका कैसे दिख गया. उसका दिमाग सुन्न हो गया था. लडके को भूमि पर रखा तो देखा कि लडका मर चुका था.
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सूरदास ने जल का छींटा मारा और बोला- “रा”. तब तक लडका उठ के चल दिया. अब तो कमाल अचंभित की अरे इन्हें तो पूरा राम भी नहीं बोला. खाली रा बोलते ही लडका जिंदा हो गया.
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तब कमाल ने वह चिट्ठी खोल के खुद पढी की इसमें क्या लिखा है जब उसने पढा तो सब समझ मे आ गया.
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वापस आ के कबीर जी से बोला गुरु जी संसार मे एक से एक सिद्ध हैं उनके आगे मैं कुछ नहीं हूं. गुरु जी आप तो यहीं रहिए. अभी मुझे जाकर भ्रमण करके बहुत कुछ सीखने समझने की जरूरत है.
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कथा का तात्पर्य कि गुरू की कृपा से सिद्धियां मिलती हैं. उनका आशीर्वाद होता है तो साक्षात ईश्वर आपके साथ खड़े होते हैं. गुरू, गुरू ही रहेंगे. वह शिष्य के मन के सारे भाव पढ़ लेते हैं और मार्गदर्शक बनकर उन्हें पतन से बचाते हैं.
हरी ऊं श्री राम

गुरुवार, 27 जुलाई 2017

चश्मा

बाहर बारिश हो रही थी और
अन्दर क्लास चल रही थी ,
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तभी टीचर ने बच्चों से
पूछा कि अगर तुम
सभी को 100-100 रुपये दिए जाए
तो तुम सब क्या क्या खरीदोगे ?
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किसी ने कहा कि मैं
वीडियो गेम खरीदुंगा, किसी
ने
कहा मैं क्रिकेट का बेट
खरीदुंगा , किसी ने कहा कि मैं अपने लिए
प्यारी सी गुड़िया खरीदुंगी,
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तो किसी ने कहा मैं बहुत
सी चॉकलेट्स
खरीदुंगी |
एक बच्चा कुछ सोचने में डुबा हुआ था,
टीचर ने उससे पुछा कि तुम
क्या सोच रहे हो ?
तुम क्या खरीदोगे ?
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बच्चा बोला कि टीचर जी,
मेरी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता है
तो मैं अपनी माँ के लिए एक
चश्मा खरीदूंगा ‌।
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टीचर ने पूछाः तुम्हारी माँ के
लिए चश्मा तो तुम्हारे
पापा भी खरीद सकते है, तुम्हें अपने
लिए कुछ नहीं खरीदना ?
बच्चे ने जो जवाब दिया उससे
टीचर का भी गला भर आया |
बच्चे
ने कहा कि मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं है |
मेरी माँ लोगों के कपड़े सिलकर
मुझे पढ़ाती है और कम दिखाई
देने
की वजह
से वो ठीक से कपड़े नहीं सिल पाती है इसीलिए मैं
मेरी माँ को चश्मा देना
चाहता हुँ
ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ,
बड़ा आदमी बन सकूँ और
माँ को सारे सुख दे सकूँ !
टीचर:-बेटा तेरी सोच ही तेरी कमाई है। ये 100 रूपये मेरे वादे
के अनुसार और ये 100 रूपये और उधार दे रहा हूँ। जब कभी
कमाओ तो लौटा देना। और मेरी इच्छा है तू इतना बड़ा
आदमी बने कि तेरे सर पे हाथ फेरते वक्त मैं धन्य हो जाऊं।
15 वर्ष बाद......
बाहर बारिश हो रही है,
अंदर क्लास चल रही है।
अचानक स्कूल के आगे जिला कलेक्टर की बत्ती वाली
गाड़ी आकर रूकती है।
स्कूल स्टाफ चौकन्ना हो जाता हैं।
स्कूल में सन्नाटा छा जाता है।
मगर ये क्या ?
जिला कलेक्टर एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर जाते हैं
और कहते हैं:-" सर मैं दामोदर दास उर्फ़ झंडू!! आपके उधार के
100 रूपये लौटाने आया हूँ"
पूरा स्कूल स्टॉफ स्तब्ध!!!
वृद्ध टीचर झुके हुए नौजवान कलेक्टर को उठाकर भुजाओं में
कस लेता है और रो पड़ता हैं। ..

अमर शहीद श्री चन्द्रशेखर आज़ाद

मुछों पर ताव,
कमर में पिस्टल,
कांधे पर जनेऊ,
शेर सी शख्सियत...
वो याद थे वो याद हैं वो याद रहेंगे,
आज़ाद थे आज़ाद है आज़ाद रहेंगे..
घेर लेँगी जब मुझे चारो तरफ से गोलियाँ
छोड़कर चल देगी जब मुझे दोस्तो की
टोलियाँ
ऐ वतन, उस वक्त भी मैँ तेरे नगमे गाऊगाँ
"आजाद" ही जिंदा रहा "आजाद" ही मर
जाऊँगा।
#मैं_हूँ_आजाद
" सीने में जोश भर जाता है सिर्फ नाम लबों पे आने से "अमर शहीद श्री चन्द्रशेखर आज़ाद का

सोमवार, 24 जुलाई 2017

प्रेरक प्रसंग

*प्रेरक प्रसंग*

यह बात गौतम बुद्ध के समय की है। एक बार वह कुरु नगर गए। वहां की रानी के बारे में लोगों का कहना था कि वह बहुत क्रूर है। जब रानी को पता चला कि गौतम बुद्ध कुरु आ रहे है तो उसने सेवकों से उनका अनादर करने के लिए कहा।

जैसे ही बुद्ध ने कुरु नगर में प्रवेश किया तो सेवकों ने अपशब्द कहे। लेकिन बुद्ध शांत रहे। यह बात उनके शिष्य आनंद को अच्छी नहीं लगी।

वह उनसे बोले, 'हमें यहां से किसी ऐसे स्थान पर चले जाना चाहिए, जहां कोई हमारे साथ दुर्व्‍यवहार न करे।' बुद्ध ने कहा, 'यह जरूरी नहीं है कि हम जहां जाएंगे, वहां जरूरी नहीं हमारा आदर हो। लेकिन यदि कोई अनादर कर रहा है तो उस स्थान को जब तक नहीं छोड़ना चाहिए तब तक वहां शांति स्थापित न हो जाए।'

व्यक्ति का व्यवहार युद्ध में बढ़ते हुए उस हाथी की तरह होना चाहिए जो चारों ओर के तीरों को सहता रहता है, उसी तरह हमें दुष्ट पुरुषों के अपशब्दों को सहन करते रहना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सबसे उत्तम तो वह है, जो स्वयं को वश में रखे। किसी भी बात पर कभी भी उत्तेजित न हो।

संक्षेप में

*अपमान पर उत्तेजित होने की बजाय स्वयं को संतुलित रखना बुद्धिमानी है।*

*शैक्षिक समाचार राजस्थान*

शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

गणित का सूत्र

एक राजा ने बहुत ही सुंदर ''महल'' बनावाया और महल के मुख्य द्वार पर एक ''गणित का सूत्र'' लिखवाया और एक घोषणा की कि इस सूत्र से यह 'द्वार खुल जाएगा और जो भी इस ''सूत्र'' को ''हल'' कर के ''द्वार'' खोलेगा में उसे अपना उत्तराधीकारी घोषित कर दूंगा।
राज्य के बड़े बड़े गणितज्ञ आये और सूत्र देखकर लोट गए, किसी को कुछ समझ नहीं आया। आख़री दिन आ चुका था उस दिन 3 लोग आये और कहने लगे हम इस सूत्र को हल कर देंगे। उसमे 2 तो दूसरे राज्य के बड़े गणितज्ञ अपने साथ बहुत से पुराने गणित के सूत्रो की पुस्तकों सहित आये। लेकिन एक व्यक्ति जो ''साधक'' की तरह नजर आ रहा था सीधा साधा कुछ भी साथ नहीं लाया था। उसने कहा मै यहां बैठा हूँ पहले इन्हें मौक़ा दिया जाए। दोनों गहराई से सूत्र हल करने में लग गए लेकिन द्वार नहीं खोल पाये और अपनी हार मान ली। अंत में उस साधक को बुलाया गया और कहा कि आपका सूत्र हल करिये समय शुरू हो चुका है। साधक ने आँख खोली और सहज मुस्कान के साथ 'द्वार' की ओर गया। साधक ने धीरे से द्वार को धकेला और यह क्या? द्वार खुल गया, राजा ने साधक से पूछा - आप ने ऐसा क्या किया? साधक ने बताया जब में 'ध्यान' में बैठा तो सबसे पहले अंतर्मन से आवाज आई, कि पहले ये जाँच तो कर ले कि सूत्र है भी या नहीं। इसके बाद इसे हल ''करने की सोचना'' और मैंने वही किया! कई बार जिंदगी में कोई ''समस्या'' होती ही नहीं और हम ''विचारो'' में उसे बड़ा बना लेते हैं।
*जीएसटी लगने तो दीजिये अभी अपना ब्लड प्रेशर मत बढाइये*

वसीयत और नसीहत

.            *"वसीयत और नसीहत"*

एक दौलतमंद इंसान ने अपने बेटे को वसीयत देते हुए कहा,

*"बेटा मेरे मरने के बाद मेरे पैरों में ये फटे हुऐ मोज़े (जुराबें) पहना देना, मेरी यह इक्छा जरूर पूरी करना ।*

पिता के मरते ही नहलाने के बाद, बेटे ने पंडितजी से पिता की आखरी इक्छा बताई ।

*पंडितजी ने कहा: हमारे धर्म में कुछ भी पहनाने की इज़ाज़त नही है।*

पर बेटे की ज़िद थी कि पिता की आखरी इक्छ पूरी हो ।

बहस इतनी बढ़ गई की शहर के पंडितों को जमा किया गया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला ।

*इसी माहौल में एक व्यक्ति आया, और आकर बेटे के हाथ में पिता का लिखा हुआ खत दिया, जिस में पिता की नसीहत लिखी थी*

_*"मेरे प्यारे बेटे"*_

*देख रहे हो..? दौलत, बंगला, गाड़ी और बड़ी-बड़ी फैक्ट्री और फॉर्म हाउस के बाद भी, मैं एक फटा हुआ मोजा तक नहीं ले जा सकता ।*

*एक रोज़ तुम्हें भी मृत्यु आएगी, आगाह हो जाओ, तुम्हें भी एक सफ़ेद कपडे में ही जाना पड़ेगा ।*

*लिहाज़ा कोशिश करना,पैसों के लिए किसी को दुःख मत देना, ग़लत तरीक़े से पैसा ना कमाना, धन को धर्म के कार्य में ही लगाना ।*

*सबको यह जानने का हक है कि शरीर छूटने के बाद सिर्फ कर्म ही साथ जाएंगे"। लेकिन फिर भी आदमी तब तक धन के पीछे भागता रहता है जब तक उसका निधन नहीं हो जाता।*

* 1) जो आपसे दिल से बात करता है उसे कभी दिमाग से जवाब मत देना।*

* 2) एक साल मे 50 मित्र बनाना आम बात है। 50 साल तक एक मित्र से मित्रता निभाना खास बात है।*

* 3) एक वक्त था जब हम सोचते थे कि हमारा भी वक्त आएगा और एक ये वक्त है कि हम सोचते हैं कि वो भी क्या वक्त था।*

* 4) एक मिनट मे जिन्दगी नहीं बदलती पर एक मिनट सोच कर लिखा फैसला पूरी जिन्दगी बदल देता है।*

* 5) आप जीवन में कितने भी ऊॅचे क्यों न उठ जाएं, पर अपनी गरीबी और कठिनाई को कभी मत भूलिए।*

* 6) वाणी में भी अजीब शक्ति होती है। कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता और मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है।*

* 7) जीवन में सबसे बड़ी खुशी उस काम को करने में है जिसे लोग कहते हैं कि तुम नही कर सकते हो।*

* 8) इंसान एक दुकान है और जुबान उसका ताला। ताला खुलता है, तभी मालूम होता है कि दुकान सोने की है या कोयले की।*

* 9) कामयाब होने के लिए जिन्दगी में कुछ ऐसा काम करो कि लोग आपका नाम Face book पे नही Google पे सर्च करें।*

* 10) दुनिया विरोध करे तुम डरो मत, क्योंकि जिस पेङ पर फल लगते है दुनिया उसे ही पत्थर मारती है।*

* 11) जीत और हार आपकी सोच पर ही निर्भर है। मान लो तो हार होगी और ठान लो तो जीत होगी।*

* 12) दुनिया की सबसे सस्ती चीज है सलाह, एक से मांगो हजारो से मिलती है। सहयोग हजारों से मांगो एक से मिलता है।*

* 13) मैने धन से कहा कि तुम एक कागज के टुकड़े हो। धन मुस्कराया और बोला बिल्कुल मैं एक कागज का टुकड़ा हूँ, लेकिन मैने आज तक जिंदगी में कूड़ेदान का मुंह नहीं देखा।*

* 14) आंधियों ने लाख बढ़ाया हौसला धूल का, दो बूंद बारिश ने औकात बता दी।*

* 15) जब एक रोटी के चार टुकड़े हों और खाने वाले पांच हों, तब मुझे भूख नहीं है, ऐसा कहने वाला कौन है.? सिर्फ "माँ"।*

* 16) जब लोग आपकी नकल करने लगें तो समझ लेना चाहिए कि आप जीवन में सफल हो रहे हैं।*

* 17) मत फेंक पत्थर पानी में, उसे भी कोई पीता है।*
*मत रहो यूं उदास जिन्दगी में, तुम्हें देखकर भी कोई जीता है।।।

सोमवार, 17 जुलाई 2017

दो    भक्त

एक बार एक संत ने अपने दो
     भक्तों को बुलाया और कहा आप
     को यहाँ से पचास कोस जाना है।
एक भक्त को एक बोरी खाने के
     समान से भर कर दी और कहा जो
     लायक मिले उसे देते जाना
और एक को ख़ाली बोरी दी उससे
      कहा रास्ते मे जो उसे अच्छा मिले
      उसे बोरी मे भर कर ले जाए।
दोनो निकल पड़े जिसके कंधे पर
     समान था वो धीरे चल पा रहा था
ख़ाली बोरी वाला भक्त आराम से
      जा रहा था
थोड़ी दूर उसको एक सोने की ईंट
     मिली उसने उसे बोरी मे डाल
     लिया
थोड़ी दूर चला फिर ईंट मिली उसे
     भी उठा लिया
जैसे जैसे चलता गया उसे सोना
     मिलता गया और वो बोरी मे भरता
     हुआ चल रहा था
और बोरी का वज़न। बड़ता गया
      उसका चलना मुश्किल होता गया
     और साँस भी चढ़ने लग गई
एक एक क़दम मुश्किल होता
     गया ।
दूसरा भक्त जैसे जैसे चलता गया
     रास्ते मै जो भी मिलता उसको
     बोरी मे से खाने का कुछ समान
     देता गया धीरे धीरे बोरी का वज़न
     कम होता गया
और उसका चलना आसान होता
     गया।
जो बाँटता गया उसका मंज़िल
     तक पहुँचना आसान होता गया
जो ईकठा करता रहा वो रास्ते मे
     ही दम तोड़ गया
दिल से सोचना हमने जीवन मे
     क्या बाँटा और क्या इकट्ठा किया
     हम मंज़िल तक कैसे पहुँच पाएँगे।

जिन्दगी का कडवा सच...
आप को 60 साल की उम्र के बाद
     कोई यह नहीं पूछेंगा कि आप का
     बैंक बैलेन्स कितना है या आप के
     पास कितनी गाड़ियाँ हैं....?

दो ही प्रश्न पूछे जाएंगे ...
     1-आप का स्वास्थ्य कैसा है.....?
         और
     2-आप के बच्चे क्या करते हैं....?

*किसी और का भेजा हुआ यह मैसेज*
    आपको भी अच्छा लगे तो
         ओरो को भी भेजें

क्या पता किसी की कुछ सोच
     बदल जाये।

प्यार बाटते रहो यही विनती है।