मुछों पर ताव,
कमर में पिस्टल,
कांधे पर जनेऊ,
शेर सी शख्सियत...
वो याद थे वो याद हैं वो याद रहेंगे,
आज़ाद थे आज़ाद है आज़ाद रहेंगे..
घेर लेँगी जब मुझे चारो तरफ से गोलियाँ
छोड़कर चल देगी जब मुझे दोस्तो की
टोलियाँ
ऐ वतन, उस वक्त भी मैँ तेरे नगमे गाऊगाँ
"आजाद" ही जिंदा रहा "आजाद" ही मर
जाऊँगा।
#मैं_हूँ_आजाद
" सीने में जोश भर जाता है सिर्फ नाम लबों पे आने से "अमर शहीद श्री चन्द्रशेखर आज़ाद का
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