रविवार, 18 दिसंबर 2016

गलतफहमी


.
एक जौहरी के निधन के बाद उसका
परिवार संकट में पड़ गया।
,
खाने के भी लाले पड़ गए।
,
एक दिन उसकी पत्नी ने अपने बेटे
को नीलम का एक हार
देकर कहा- 'बेटा, इसे अपने चाचा की
दुकान पर ले जाओ।
,
कहना इसे बेचकर कुछ रुपये दे दें।
,
बेटा वह हार लेकर चाचा जी के पास गया।
,
चाचा ने हार को अच्छी तरह से देख
परखकर कहा- बेटा,
मां से कहना कि अभी बाजार
बहुत मंदा है।
,
थोड़ा रुककर बेचना,
अच्छे दाम मिलेंगे।
,
उसे थोड़े से रुपये देकर कहा कि
तुम कल से दुकान पर आकर बैठना।
,
अगले दिन से वह लड़का रोज दुकान
पर जाने लगा और वहां हीरों
रत्नो की परख का काम सीखने लगा।
,
एक दिन वह बड़ा पारखी बन गया।
लोग दूर-दूर से अपने हीरे की परख कराने
आने लगे।
,
एक दिन उसके चाचा ने कहा, बेटा अपनी
मां से वह हार लेकर आना और कहना
कि अब बाजार बहुत तेज है,
,
उसके अच्छे दाम मिल जाएंगे।
,
मां से हार लेकर उसने परखा तो
पाया कि वह तो नकली है।
,
वह उसे घर पर ही छोड़ कर
दुकान लौट आया।
,
चाचा ने पूछा, हार नहीं लाए?
,
उसने कहा, वह तो नकली था।
,
तब चाचा ने कहा- जब तुम पहली बार
हार लेकर आये थे, तब मैं उसे
नकली बता देता तो तुम सोचते कि
आज हम पर बुरा वक्त आया तो चाचा
हमारी चीज को भी नकली
बताने लगे।
,
आज जब तुम्हें खुद ज्ञान हो गया तो
पता चल गया कि हार सचमुच नकली है।
,
सच यह है कि ज्ञान के बिना इस संसार में
हम जो भी सोचते, देखते और जानते हैं,
सब गलत है।
,
और ऐसे ही गलतफहमी का शिकार
होकर रिश्ते बिगडते है।
Think and Live Long Relationship
ज़रा सी रंजिश पर ,ना छोड़
किसी अपने का दामन.
,
ज़िंदगी बीत जाती है
अपनो को अपना बनाने में..!

 

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

चाबी दिल की

*चाबी दिल की।*

*किसी गाँव में एक ताले वाले की दुकान थी।ताले वाला रोजाना अनेकों चाबियाँ बनाया करता था। ताले वाले की दुकान में एक हथौड़ा भी था| वो हथौड़ा रोज देखा करता कि ये चाभी इतने मजबूत ताले को भी कितनी आसानी से खोल देती है।एक दिन हथौड़े ने चाभी से पूछा कि मैं तुमसे ज्यादा शक्तिशाली हूँ,मेरे अंदर लोहा भी तुमसे ज्यादा है और आकार में भी तुमसे बड़ा हूँ लेकिन फिर भी मुझे ताला तोड़ने में बहुत समय लगता है और तुम इतनी छोटी हो फिर भी इतनी आसानी से मजबूत ताला कैसे खोल देती हो।चाभी ने मुस्कुराकर कहा ताले से,तुम ताले पर ऊपर से प्रहार करते हो और उसे तोड़ने की कोशिश करते हो लेकिन मैं ताले के अंदर तक जाती हूँ,उसके अंतर्मन को छूती हूँ और घूमकर ताले से निवेदन करती हूँ और ताला खुल जाया करता है। वाह।कितनी गूढ़ बात कही है, चाभी ने कि,मैं ताले के अंतर्मन को छूती हूँ और वो खुल जाया करता है।आप कितने भी शक्तिशाली हो कितनी भी आपके पास ताकत हो, लेकिन,जब तक आप लोगों के दिल में नहीं उतरेंगे,उनके अंतर्मन को नहीं छुयेंगे,तब तक कोई आपकी इज्जत नहीं करेगा।हथौड़े के प्रहार से ताला खुलता नहीं,बल्कि टूट जाता है।ठीक वैसे ही अगर आप शक्ति के बल पर कुछ काम करना चाहते हैं तो आप 100% नाकामयाब रहेंगे क्योंकि शक्ति से आप किसी के दिल को नहीं छू सकते।चाभी बन जाएं,सबके दिल की चाभी।हम सब भी बाहर चोट करते है। जिससे शरीर रूपी ताला टूट जाता है।चाबी की तरह बने और सभी के दिल में उतर जाएँ तभी हमारा जीवन सफल होगा।*

गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

बनिया

एक बनिए  से लक्ष्मी  जी  रूठ गई ।जाते वक्त  बोली मैं जा रही  हूँ और मेरी जगह  टोटा (नुकसान ) आ रहा है ।तैयार  हो जाओ।लेकिन  मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ।मांगो जो भी इच्छा  हो।
बनिया बहुत समझदार  था ।उसने विनती  की टोटा आए तो आने  दो ।लेकिन  उससे कहना की मेरे परिवार  में आपसी  प्रेम  बना रहे ।बस मेरी यही इच्छा  है।
लक्ष्मी  जी  ने  तथास्तु  कहा।

कुछ दिन के बाद :-

बनिए की सबसे छोटी  बहू  खिचड़ी बना रही थी ।उसने नमक आदि  डाला  और अन्य  काम  करने लगी ।तब दूसरे  लड़के की  बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई ।इसी प्रकार  तीसरी , चौथी  बहुएं  आई और नमक डालकर  चली गई ।उनकी सास ने भी ऐसा किया ।

शाम  को सबसे पहले बनिया  आया ।पहला निवाला  मुह में लिया ।देखा बहुत ज्यादा  नमक  है।लेकिन  वह समझ गया  टोटा(हानि)  आ चुका है।चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया ।इसके बाद  बङे बेटे का नम्बर आया ।पहला निवाला  मुह में लिया ।पूछा पिता जी  ने खाना खा लिया ।क्या कहा उन्होंने ?
सभी ने उत्तर दिया-" हाँ खा लिया  ,कुछ नही बोले।"
अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ  नही  बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ।
इस प्रकार घर के अन्य  सदस्य  एक -एक आए ।पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए ।

रात  को टोटा (हानि) हाथ जोड़कर  बनिए से कहने लगा  -,"मै जा रहा हूँ।"
बनिए ने पूछा- क्यों ?
तब टोटा (हानि ) कहता है, " आप लोग एक किलो तो नमक खा गए  ।लेकिन  बिलकुल  भी  झगड़ा  नही हुआ । मेरा यहाँ कोई काम नहीं।"

निचौङ

⭐झगड़ा कमजोरी ,  टोटा ,नुकसान  की पहचान है।

जहाँ प्रेम है ,वहाँ लक्ष्मी  का वास है।

सदा प्यार -प्रेम  बांटते रहे।छोटे -बङे  की कदर करे ।
जो बङे हैं ,वो बङे ही रहेंगे ।चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई   से बङी हो।  

मन की आवाज़


बहुत साल बाद दो दोस्त रास्ते में मिले .

धनवान दोस्त ने उसकी आलिशान गाड़ी पार्क की और

गरीब मित्र से बोला चल इस गार्डन में बेठकर बात करते है .

चलते चलते अमीर दोस्त ने गरीब दोस्त से कहा

तेरे में और मेरे में बहुत फर्क है .

हम दोनों साथ में पढ़े साथ में बड़े हुए

मै कहा पहुच गया और तू कहा रह गया ?

चलते चलते गरीब दोस्त अचानक रुक गया .

अमीर दोस्त ने पूछा क्या हुआ ?

गरीब दोस्त ने कहा तुझे कुछ आवाज सुनाई दी?

अमीर दोस्त पीछे मुड़ा और पांच का सिक्का उठाकर बोला

ये तो मेरी जेब से गिरा पांच के सिक्के की आवाज़ थी।

गरीब दोस्त एक कांटे के छोटे से पोधे की तरफ गया

जिसमे एक तितली पंख फडफडा रही थी .

गरीब दोस्त ने उस तितली को धीरे से बाहर निकला और

आकाश में आज़ाद कर दिया .

अमीर दोस्त ने आतुरता से पुछा

तुझे तितली की आवाज़ केसे सुनाई दी?

गरीब दोस्त ने नम्रता से कहा

" तेरे में और मुझ में यही फर्क है

तुझे "धन" की सुनाई दी और मुझे "मन" की आवाज़ सुनाई दी .

"यही सच है "

.इतनी ऊँचाई न देना प्रभु कि,

धरती पराई लगने लगे l

इतनी खुशियाँ भी न देना कि,

दुःख पर किसी के हंसी आने लगे ।

नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिसका,

निर्बल पर प्रयोग करूँ l

नहीं चाहिए ऐसा भाव कि,

किसी को देख जल-जल मरूँ

ऐसा ज्ञान मुझे न देना,

अभिमान जिसका होने लगे I

ऐसी चतुराई भी न देना जो,

लोगों को छलने लगे ।

: खवाहिश  नही  मुझे 
मशहूर  होने  की।
आप  मुझे  पहचानते  हो 
बस  इतना  ही  काफी  है।

अच्छे  ने  अच्छा  और 
बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।
क्यों  की  जिसकी  जितनी 
जरुरत  थी  उसने उतना  ही
पहचाना  मुझे।

ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा 
भी   कितना  अजीब  है,
शामें  कटती  नहीं, और  साल 
गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं....!

एक  अजीब  सी 
दौड़  है  ये  ज़िन्दगी,
जीत  जाओ  तो  कई
अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,
और  हार  जाओ  तो  अपने
ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।.....
Being human

बुधवार, 14 दिसंबर 2016

सबक

क्लास रूम में प्रोफेसर ने एक सीरियस टॉपिक पर चर्चा प्रारंभ की।

जैसे ही वे ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिखने के लिए पलटे तो तभी एक शरारती छात्र ने सीटी बजाई ।

प्रोफेसर ने पलटकर सारी क्लास को घूरते हुए सीटी किसने मारी पूछा, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया।

प्रोफेसर ने शांति से अपना सामान समेटा और आज की क्लास समाप्त बोलकर, बाहर की तरफ बढ़े। स्टूडेंट्स खुश हो गए कि, चलो अब फ्री हैं।

अचानक प्रोफेसर रुके, वापस अपनी टेबल पर पहुँचे और बोले---" चलो, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ , इससे हमारे बचे हुए समय का उपयोग भी हो जाएगा। "

सभी स्टूडेंट्स उत्सुकता और इंटरेस्ट के साथ कहानी सुनने लगे ।

प्रोफेसर बोले---" कल रात मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा कि, कार में पेट्रोल भरवाकर ले आता हूँ जिससे सुबह मेरा समय बच जाएगा ।

पेट्रोल पम्प से टैंक फुल कराकर मैं आधी रात को सूनसान पड़ी सड़कों पर ड्राइव का आनंद लेने लगा ।

अचानक एक चौराहे के कार्नर पर मुझे एक बहुत खूबसूरत लड़की शानदार ड्रेस पहने हुए अकेली खड़ी नजर आई। मैंने कार रोकी और
उससे पूछा कि,

क्या मैं उसकी कोई सहायता कर सकता हूँ तो, उसने कहा कि, उसे उसके घर ड्रॉप कर दें तो बड़ी मेहरबानी होगी ।

मैंने सोचा नींद तो वैसे भी नहीं आ रही है , चलो, इसे इसके घर छोड़ देता हूँ ।

वो मेरी बगल की सीट पर बैठी। रास्ते में हमने बहुत बातें कीं। वो बहुत इंटेलिजेंट थी, ढेरों टॉपिक्स पर उसका कमाण्ड था ।

जब कार उसके बताए एड्रेस पर पहुँची तो उतरने से पहले वो बोली कि, वो मेरे नेचर और व्यवहार से बेहद प्रभावित हुई है और मुझसे प्यार करने लगी है।

मैं खुद भी उसे पसंद करने लगा था। मैंने उसे बताया कि, मैं यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हूँ। वो बहुत खुश हुई फिर उसने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर लिया और अपना नंबर दिया।

अंत में उसने बताया की, उसका भाई भी यूनिवर्सिटी में ही पढ़ता है और उसने मुझसे रिक्वेस्ट की कि,
मैं उसके भाई का ख़याल रखूँ ।

मैंने कहा कि, तुम्हारे भाई के लिए कुछ भी करने पर मुझे बेहद खुशी होगी। क्या नाम है तुम्हारे भाई का ?

इसपर लड़की ने कहा कि, बिना नाम बताए भी आप उसे पहचान सकते हैं क्योंकि वो सीटी बहुत ज्यादा और बहुत बढ़िया बजाता है।

जैसे ही प्रोफेेसर ने सीटी वाली बात की तो, तुरंत क्लास के सभी स्टूडेंट्स उस छात्र की तरफ देखने लगे, जिसने प्रोफ़ेसर की पीठ पर सीटी बजाई थी।

प्रोफेसर उस लड़के की तरफ घूमे और
उसे घूरते हुए बोले---

बेटा, मैंने अपनी पी एच डी की डिग्री, आलू छीलकर हासिल नहीं की है, समझे

सोमवार, 12 दिसंबर 2016

हंस और हंसिनी

एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये!

हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ??

यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा !

भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !

रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था।

वह जोर से चिल्लाने लगा।

हंसिनी ने हंस से कहा- अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते।

ये उल्लू चिल्ला रहा है।

हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ??

ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।

पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था।

सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई, मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ करदो।

हंस ने कहा- कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद!

यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा

पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो।

हंस चौंका- उसने कहा, आपकी पत्नी ??

अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है,मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है!

उल्लू ने कहा- खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है।

दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग एकत्र हो गये।

कई गावों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गयी।

पंचलोग भी आ गये!

बोले- भाई किस बात का विवाद है ??

लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है!

लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पंच लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे।

हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है।

इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना चाहिए!

फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों की जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है!

यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया।

उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली!

रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - ऐ मित्र हंस, रुको!

हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ??

पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ?

उल्लू ने कहा- नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी!

लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है!

मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है।

यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं!

शायद 65 साल की आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने उम्मीदवार की योग्यता न देखते हुए, हमेशा ये हमारी जाति का है. ये हमारी पार्टी का है के आधार पर अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है, देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैँ!

"कहानी" अच्छी लगे तो आगे भी बढ़ा दें...

शनिवार, 10 दिसंबर 2016

सफलता का नहीं है कोई शोर्टकट

सफलता का नहीं है कोई शोर्टकट
एक छोटी से कहानी सुनाता हूँ....
पिकासो (Picasso) स्पेन में जन्में एक बहुत मशहूर चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं। एक दिन रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वो दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली –
...........................................सर मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे ?
पिकासो हँसते हुए बोले – मैं यहाँ खाली हाथ हूँ मेरे पास कुछ नहीं है मैं फिर कभी आपके लिए पेंटिंग बना दूंगा।
लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ दी कि मुझे अभी एक पेंटिंग बना के दो, बाद में पता नहीं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।
पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उसपे कुछ बनाने लगे। करीब 10 सेकेण्ड के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा ये लो ये मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।
उस लड़की को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 सेकेण्ड में जल्दी से एक काम चलाऊ पेंटिंग बना दी और बोल रहे हैं कि मिलियन डॉलर की पेंटिग है। उस औरत ने वो पेंटिंग ली और बिना कुछ बोले अपने घर आ गयी। उसको लगा पिकासो उसका पागल बना रहा है, इसलिए वो मार्किट गयी और उस पेंटिंग की कीमत पता की।
और उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि वो पेंटिंग वास्तव में मिलियन डॉलर की थी। वो भागी भागी एक बार फिर पिकासो के पास आयी और बोली – सर आपने बिलकुल सही कहा था ये तो मिलियन डॉलर की ही पेंटिंग है।
पिकासो ने हँसते हुए कहा कि मैंने तो आपसे पहले ही कहा था।
वो महिला बोली – सर आप मुझे अपनी स्टूडेंट बना लीजिये और मुझे भी पेंटिंग बनानी सीखा दीजिये। जैसे आपने 10 सेकेण्ड में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना दी, वैसे मैं भी 10 सेकेण्ड में ना सही 10 मिनट में ही अच्छी पेंटिंग बना सकूँ। मुझे ऐसा बना दीजिये।
पिकासो ने हँसते हुए कहा – ये जो मैंने 10 सेकेण्ड में पेंटिंग बनायीं है इसे सीखने में मुझे 30 साल का समय लगा। मैंने अपने जीवन के 30 साल सीखने में दिए तुम भी दो, सीख जाओगी।
वो महिला अवाक् निःशब्द होकर पिकासो को देखती रह गयी।
दोस्तों जब हम दूसरों को सफल होता देखते हैं तो हमें ये सब बड़ा आसान लगता है। हमको लगता है कि यार ये इंसान को बड़ी जल्दी और बड़ी आसानी से सफल हो गया।
लेकिन मेरे दोस्त उस एक सफलता के पीछे ना जाने कितने सालों की मेहनत छिपी है ये कोई नहीं देख पाता।
सफलता तो बड़ी आसानी से मिल जाती है लेकिन सफलता की तैयारी में अपना जीवन कुर्बान करना होता है। जो लोग खुद को तपाकर, संघर्ष करके अनुभव हासिल करते हैं वो कामयाब हो जाते हैं और दूसरों को लगता है कि ये कितनी आसानी से सफल हो गया।
मेरे दोस्त एग्जाम तो केवल 3 घंटे का होता है लेकिन उस 3 घण्टे के लिए पूरी साल तैयारी करनी पड़ती है। तो फिर आप रातों रात सफल होने का सपना कैसे देख सकते हो। सफलता अनुभव और संघर्ष मांगती है और अगर आप देने को तैयार हैं तो आपको आगे जाने से कोई नहीं रोक सकेगा।

सरकार

एक व्यापारी अकबर के समय मे बिजनस करता था महाराना परताप से लडाई  की वजह से अकबर कंगाल हो गया और व्यापारी  से कुछ सहायता मांगी,  व्यापारी ने अपना सब धन अकबर को दे दिया तब अकबर ने उससे पुछा कि तुमने इतना धन कैसे कमाया सच सच बताओ नहि तो फांसी दे दुंगा। मारवाडी बोला जहांपनाह मेनै यह सारा धन कर चौरी और मिलावट से कमाया है। यह सुनकर अकबर ने बीरबल से सलाह करके व्यापारी  को घौडो के अस्तबल मे लीद साफ करने की सजा सुनाई।  व्यापारी वहां काम करने लगा।

दो साल बाद फिर अकबर लडाई मे कं
गाल हो गया तो बीरबल से पुछा अब धन की व्यवस्था कौन करेगा। बीरबल ने कहा बादशाह उस व्यापारी से बात करने से समस्या का समाधान हो सकता है। तब अकबर ने फिर व्यापारी  को बुलाकर अपनी परेशानी बताई तो  व्यापारी  ने फिर बहुत सारा धन अकबर को दे दिया। अकबर ने पुछा तुम तो अस्तबल  मे काम करते हो फिर तुम्हारे पास इतना धन कहां से आया सच सच बताओ नहि तो सजा मिलेगी।   व्यापारी   ने कहा यह धन मैने आप के आदमी जो घौडों की देखभाल करते है उन से यह कहकर रिश्वत लिया है कि घौडे आजकल लीद कम कर रहै है इसकी शिकायत बादशाह को करुगां क्योंकि तुम घौडो को पुरी खुराक नहीं देते हौ ओर पैसा खजाने से पुरा उठाते हो। अकबर फिर नाराज हुआ और   व्यापारी  से कहा कि तुम कल से अस्तबल में काम नही करोगे। कल से तुम समुन्दर् के किनारे उसकी लहरे गीनो और मुझे बताऔ।

दो साल बाद

अकबर फिर लडाई में कंगाल
चारो तरफ धन का अभाव किसी के पास धन नहीं। बीरबल और अकबर का माथा काम करना बंद। अचानक बीरबल को  व्यापारी   की याद आई। बादशाह को कहा आखरी उमी्द व्यापारी  दिखता है आप की ईजाजत हो तो बात करू। बादशाह का गरूर काफुर बोला किस मुंह से बात करें दो बार सजा दे चुकें हैं। दोस्तो  व्यापारी  नै फिर बादशाह को ईतना धन दिया कि खजाना पूरा भर दिया। बादशाह ने डरते हुऐ धन कमाने का तरिका पूछा तो  व्यापारी  ने बादशाह को धन्यवाद दिया और कहा इस बार धन विदेश से आया है क्योकि मैने उन सब को जो विदेश से आतें हैं आप का फरमान दिखाया कि जो कोइ मेरे लहरे गिनने के काम में अपने नाव से बाधा करेगा बादशाह उसे सजा देंगें । सब डर से धन देकर गये और जमा हो गया।

*कहानी का सार*
*सरकार  व्यापारी  से ही चलती है*
*जाहे अकबर की हो या मोदी की*

गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

एक मोड़

अचानक एक मोड़ पर सुख और दुःख की मुलाकात हो गई
             दुःख ने सुख से कहा : -
          तुम कितने भाग्यशाली हो ,
जो लोग तुम्हें पाने की कोशिश में लगे रहते हैं....
         सुख ने मुस्कराते हुए कहा : -
         भाग्यशाली मैं नहीं तुम हो...!
   दुःख ने हैरानी से पूछा : - "वो कैसे?
सुख ने बड़ी ईमानदारी से जबाब  दिया : -
वो ऐसे कि तुम्हें पाकर लोग अपनों को याद करते हैं ,
लेकिन मुझे पाकर सब अपनों को भूल जाते हैं।।

Let's be positive....                       

एक किस्सा.....

एक घर के पास काफी दिन एक बड़ी इमारत का काम चल रहा था।
वहा रोज मजदुरों के छोटे बच्चे एक दुसरों की शर्ट पकडकर रेल-रेल का खेल खेलते थे।

रोज कोई इंजिन बनता और बाकी बच्चे डिब्बे बनते थे...

इंजिन और डिब्बे वाले बच्चे रोज बदल  जाते,
पर...
केवल चङ्ङी पहना एक छोटा बच्चा हाथ में रखा कपड़ा घुमाते हुए गार्ड बनता था।

उनको रोज़ देखने वाले एक व्यक्ति ने  कौतुहल से गार्ड बनने वाले बच्चे को बुलाकर पुछा,

"बच्चे, तुम रोज़ गार्ड बनते हो। तुम्हें कभी इंजिन, कभी डिब्बा बनने की इच्छा नहीं होती?"

इस पर वो बच्चा बोला...

"बाबूजी, मेरे पास पहनने के लिए कोई शर्ट नहीं है। तो मेरे पिछले वाले बच्चे मुझे कैसे पकड़ेंगे? और मेरे पिछे कौन खड़ा रहेगा?

इसिलए मैं रोज गार्ड बनकर ही खेल में हिस्सा लेता हुँ।

"ये बोलते समय मुझे उसके आँखों में पानी दिखाई दिया।

आज वो बच्चा मुझे जीवन का एक बड़ा पाठ पढ़ा गया...

अपना जीवन कभी भी परिपूर्ण नहीं होता। उस में कोई न कोई कमी जरुर रहेगी।

वो बच्चा माँ-बाप से ग़ुस्सा होकर रोते हुए बैठ सकता था। वैसे न करते हुए उसने परिस्थितियों का समाधान ढूंढा।

हम कितना रोते है...?

कभी अपने साँवले रंग के लिए, कभी छोटे क़द के लिए, कभी पड़ौसी की कार, कभी पड़ोसन के गले का हार, कभी अपने कम मार्क्स, कभी अंग्रेज़ी, कभी पर्सनालिटी, कभी नौकरी मार तो कभी धंदे में मार...

हमें इससे बाहर आना पड़ता है।

ये जीवन है... इसे ऐसे ही जीना पड़ता है।

Let's be positive....

                      

आखरी दिन

एक दिन यमराज एक लड़के के पास आये और बोले -

"लड़के, आज तुम्हारा आखरी दिन है!"

लड़का :  "लेकिन मैं अभी तैयार नही हुँ ".

यमराज : "ठिक है लेकिन सूची मे तुम्हारा नाम पहला है".

लड़का : "ठिक है , फिर क्युं ना हम जाने से पहले साथ मे बैठ कर चाय पी ले ?

यमराज : "सहि है".

लड़के ने चाय मे नीद की गोली मिला कर यमराज को दे दी.

यमराज ने चाय खत्म की और गहरी नींद मे सो गया.

लड़के ने सूची मे से उसका नाम शुरुआत से हटा कर अंत मे लिख दिया.

जब यमराज को होश आया तो वह लड़के से बोले -"क्युंकी तुमने मेरा बहुत ख्याल रखा इसलिये मे अब सूची अंत से चालू करूँगा"..!

सीख :

"किस्मत का लिखा कोई नही मिटा सकता"
अर्ताथ - जो तुम्हारी किस्मत मे है वह कोई नही बदल सकता चाहे तुम कितनी भी कोशिश कर लो .

इसलिये भगवत गीता मे श्री कृष्ण ने कहा है -

"तू करता वही है जो तू चाहता है,

पर होता वही है जो मैं चाहता हुँ

तू कर वह जो मैं चाहता हुँ
फिर होगा वही जो तू चाहता हैं"