शनिवार, 20 जून 2015

टेढ़े मेढ़े नटखट कान्हा

टेढ़े मेढ़े नटखट कान्हा की बहूत ही सुंदर कथा ~

एक बार की बात है बॄन्दावन का एक साधु अयोध्या की गलियों मे राधेकृष्ण राधेकृष्ण जप रहा था तो एक अयोध्या का साधु बोला -अरे भाई क्या राधेकृष्ण लगा रखा है, अरे नाम ही जपना है तो सीताराम, सीताराम जपो ना। क्या उस टेढ़े मेढ़े का नाम लेते हो?
यह सुन कर बृंदावन वाला साधु भड़क गया और बोला,भाई जुबान संभाल कर बात कीजिए,ये जुबान पान भी खिलाती है और लात भी खिलाती है,आपने मेरे इष्टदेव को टेढ़ा कैसे बोला?
अयोध्या का साधु बोला :-भाई ये बिल्कुल सत्य है कि सच्चाई बहूत कड़वी होती है,लोग सहन नही कर पाते हैं,देखिए ना सच सुन कर आप कितने बौखला गये?लेकिन,
सच्चाई छुप नही सकती बनावट के उसूलों से ,
कि खुश्बू आ नही सकती कभी कागज के फूलों से।
भाई हम यह साबित कर सकते हैं कि आपके कृष्ण तो टेढ़े मेढ़े हैं ही, उनका कुछ भी सीधा नही है। उसका नाम टेढ़ा,उसका धाम टेढ़ा,उसका काम टेढ़ा,और वो खुद भी टेढ़ा है,और मेरे राम को देखो कितने सीधे और कितने सरल हैं?
बृंदावन वाला साधु -अरे..अरे,ये आपने क्या कह दिया! नाम टेढ़ा,धाम टेढ़ा,काम टेढ़ा।?
अयोध्या वाला साधु :- बिल्कुल, आप खुद ये काग़ज़ और कलम लो और कृष्ण लिख कर देख लो………अब बताओ ये नाम टेढ़ा है कि नही?
बृंदावन वाला साधु:- सो तो है!
अयोध्या वाला साधु :- ठीक इसी तरह उसका धाम भी टेढ़ा है विश्वास नहीं है तो बृंदावन लिख कर देख लो।
बृंदावन का साधु बोला- चलो हम मानते हैं कि नाम और धाम टेढ़ा है लेकिन उनका काम टेढ़ा है और वो खुद भी टेढ़े है ये आपने कैसे कहा?
अयोध्या का साधु बोला-प्यारे……….ये भी बताना पड़ेगा, अरे भाई जमुना मे नहाती गोपियों के वस्त्र चुराना,रास रचाना, माखन चुराना ये सब कोई शरीफों का सीधा सादा काम है क्या,और आज तक कोई हमे ये बता दें कि किसी ने भी उनको सीधे खड़े देखा है क्या?
फिर क्या था, बृंदावन के साधु को अपने कृष्ण से बहुत नाराज़गी हुई।वो सीधे बृंदावन पहुँचा और बाँकेबिहारी से लड़ाई तान दी। बोला खूब ऊल्लू बनाया मुझे इतने दिनों तक, यह लो अपनी लकुट कमरिया, यह लो अपनी सोटी। अब हम तो चले अयोध्या सीधे सादे राम की शरण में।
कृष्ण मंद मंद मुस्कुराते हुए बोले-लगता है तुम्हें किसी ने भड़का दिया है, ठीक है जाना चाहते हो तो जाओ पर यह बता तो दो कि हम टेढ़े और राम सीधे कैसे हुए,और कृष्ण कुँए पर नहाने के लिए चल पड़े ?
बृंदावन वाला साधु बोला:-अजी आपका नाम टेढ़ा है आपका धाम टेढ़ा है और आपका तो सारा
काम भी टेढ़ा है आप खुद भी तो टेढ़े हो कभी आपको किसी ने सावधान में खड़े नही देखा होगा।
कृष्ण मंद मंद मुस्कुराते हुए कुँए से पानी निकाल रहे थे कि अचानक पानी निकालने वाली बाल्टी कुएँ में गिर जाती है, कृष्ण अपने नाराज भक्त को आश्रम से एक सरिया लाने को कहते है, साधु सरिया लाकर देता है, और कृष्ण उस सरिए से बाल्टी को निकालने की कोशिश करते हैं।
यह देखकर बृंदावन का साधु बोला- आज मुझे मालूम हुआ कि आप को अक्ल भी कोई खास नही है।अजी सीधे सरिए से बाल्टी कैसे निकलेगी, इतनी देर से परेशान हो रहे हो,सरिए को थोड़ा टेढ़ा कर
लो,फिर देखो बाल्टी कैसे बाहर आ जाती है?
कृष्ण अपने स्वाभाविक रूप से मंद मंद मुस्कुराते हुए बोले :- जरा सोचो जब सीधापन इस छोटे से कुएँ से एक छोटी सी बाल्टी को नही निकाल सकता, तो तुम्हें इतने बड़े भवसागर से कैसे निकाल पायेगा। अरे आजकल के इंसानो तुम सब तो इतने गहरे पाप के सागर मेँ गिर चुके हो कि इससे तुम्हें निकाल पाना मेरे जैसे टेढ़े का ही काम रह गया है
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बोलिए बाँके बिहारी लाल की जय

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