एक दफा एक घोड़ा एक गहरी गढ्ढा मे जा गिरा और जोर जोर से आवाज निकालने लगा......
घोड़े का मालिक किसान था जो किनारे पर खड़ा उसे बचाने की तरकीबे सोच रहा था??????
जब उसे कोइ तरीका नही सुझा तो हार मान कर दिल को तसल्ली देने लगा के घोड़ा तो अब बूढा हो चुका है वह अब मेरे काम का भी नही रहा चलो उसे यूही छोड़ देते है ...............
और आखिरकार गढ्ढे को एक दीन बन्द करना ही पड़ेगा इसलिए इसे बचाकर भी कोइ खास फायदा नही
यह सोच कर उसने अपने पड़ोसी की मदद ली और गढ्ढा बन्द करना शुरू कर दीया
सबके हाथ मे एक एक बेलचा था जिस से मिट्टी , कुड़ा करकट डाल रहे थे .
घोड़ा यह देख कर बहुत परेशान हुआ
उसने और तेज आवाज निकालनी शुरू कर दी
कुछ ही लम्हे बाद घोड़ा बिल्कुल खामोश हो गया ..
जब किसान ने झाँका तो यह देख कर हैरान रह गया के जब जब घोड़े के उपर मिट्टी और कचरा फेंका जाता है तब तब वह झटक कर अपने जिस्म से निचे गिरा देता है और गिरी हुइ मिट्टी पर खड़ा हो जाता है
ये सिलसीला काफी देर तक चलता रहा
किसान अपने पड़ोसियों के साथ मिट्टी और कचरा फेंकता गया और घोड़ा उसे अपने बदन से हटा हटा कर उपर आता गया और देखते ही देखते उपर तक आ गया आखिरकार बाहर निकल आया
ये मंजर देख कर किसान और उसके पड़ोसी हैरत मे आ गये
जिन्दगी मे हमारे साथ भी एसा मसला हो सकता है के हमारे उपर कचरा उछाला जाए , हमे बदनाम किया जाए , हमारी दामन को दागदार किया जाए , हमे चन्द मसलो मे फंसा कर हमे निशाना बनाया जाए
लेकीन गन्दगी के उस गढ्ढे से बचने का तरीका ये नही के हम उन गन्दगी के तह मे दफन हो कर रह जाए
बल्की हमे भी उन बेकार चीजो का मुकाबला करते हुवे उपर की तरफ और आगे के सिम्त बढते रहना चाहिए
हमारे रास्ते मे भी कोइ कचरा डालता है तो डालने दो एक अक्लमंद इंसान अपना रास्ता कभी नही बदलता क्यो की जिन्दगी मे जो भी मुशकिलात आती है या तो हमारे लिए चेतावनी होती है या फिर सबक