मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

थकान का राज

थकान का राज
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एक किसान के घर एक दिन
उसका कोई परिचित मिलने
आया।
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उस समय वह घर पर नहीं
था। उसकी पत्नी ने कहा-
वह खेत पर गए हैं।
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मैं बच्चे को बुलाने के लिए
भेजती हूं। तब तक आप
इंतजार करें।'
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कुछ ही देर में किसान खेत से
अपने घर आ पहुंचा। उसके
साथ साथ उसका पालतू कुत्ता
भी आया।
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कुत्ता जोरों से हांफ रहा था।
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उसकी यह हालत देख, मिलने
आए व्यक्ति ने किसान से पूछा
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क्या तुम्हारा खेत बहुत दूर है ?
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किसान ने कहा- नहीं, पास ही
है। लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ
रहे हैं ?
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उस व्यक्ति ने कहा- मुझे यह
देखकर आश्चर्य हो रहा है कि
तुम और तुम्हारा कुत्ता दोनों
साथ-साथ आए,
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लेकिन तुम्हारे चेहरे पर रंच
मात्र थकान नहीं जबकि कुत्ता
बुरी तरह से हांफ रहा है।
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किसान ने कहा- मैं और कुत्ता
एक ही रास्ते से घर आए हैं।
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मेरा खेत भी कोई खास दूर
नहीं है। मैं थका नहीं हूं। मेरा
कुत्ता थक गया है।
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इसका कारण यह है कि मैं
सीधे रास्ते से चलकर घर
आया हूं, मगर कुत्ता अपनी
आदत से मजबूर है।
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वह आसपास दूसरे कुत्ते
देखकर उनको भगाने के
लिए उसके पीछे दौड़ता था
और भौंकता हुआ वापस
मेरे पास आ जाता था।
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फिर जैसे ही उसे और कोई
कुत्ता नजर आता, वह उसके
पीछे दौड़ने लगता।
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अपनी आदत के अनुसार
उसका यह क्रम रास्ते भर
जारी रहा। इसलिए वह थक
गया है।
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देखा जाए तो यही स्थिति
आज के इंसान की भी है।
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जीवन के लक्ष्य तक पहुंचना
यूं तो कठिन नहीं है,
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लेकिन लोभ, मोह अहंकार
और ईर्ष्या जीव को उसके
जीवन की सीधी और सरल
राह से भटका रही है।
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अपनी क्षमता के अनुसार
जिसके  पास जितना है, उससे
वह संतुष्ट नहीं।
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आज लखपति, कल करोड़
पति, फिर अरबपति बनने
की चाह में उलझकर इंसान
दौड़ रहा है।
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अनेक लोग ऐसे हैं जिनके
पास सब कुछ है। भरा- पूरा
परिवार, कोठी, बंगला, एक
से एक बढ़िया कारें, क्या
कुछ नहीं है।
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फिर भी उनमें बहुत से दुखी
रहते हैं।
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बड़ा आदमी बनना, धनवान
बनना बुरी बात नहीं, बनना
चाहिए। यह हसरत सबकी
रहती है।
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उसके लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा
होगी तो थकान नहीं होगी।
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लेकिन दूसरों के सामने खुद
को बड़ा दिखाने की चाह के
चलते आदमी राह से भटक
रहा है और यह भटकाव ही
इंसान को थका रहा है।

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